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कथानक की दृष्टि से शिवानी की ‘लाटी’ कहानी की समीक्षा कीजिए।याउद्देश्य की दृष्टि से ‘लाटी’ कहानी की समीक्षा कीजिए। या। ‘लाटी’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।या‘लाटी’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। 

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शिवानी हिन्दी की एक प्रसिद्ध महिला कथाकार रही हैं। इनकी कहानियों में नारी के विभिन्न रूपों का सुन्दर चित्रण हुआ है। सामाजिक रूढ़ियों और आडम्बरों पर ये शालीन व्यंग्य करती हैं। प्रस्तुत कहानी ‘लाटी’ में एक महिला की कथा है। कहानी-कला के कतिपय प्रमुख तत्त्वों के आधार पर इस कहानी की समीक्षा निम्नवत् है-

(1) शीर्षक-कहानी का शीर्षक संक्षिप्त, सरल, कौतूहलवर्द्धक तथा आकर्षक है। कहानी का मूल भाव शीर्षक के साथ जुड़ा है। शीर्षक पढ़ते ही जिज्ञासा होती है, कौन लाटी ? कहाँ की लाटी ? ‘लाटी’ के अतिरिक्त अन्य कोई भी शीर्षक पाठकों की जिज्ञासा में इतनी वृद्धि नहीं कर सकता था, जितना ‘लाटी’ ने किया। अत: प्रस्तुत कहानी का यह शीर्षक पूर्णतया उपयुक्त है।

(2) कथानक-बानो से विवाह के तीसरे ही दिन कप्तान को बसरा जाना पड़ा। अपनी खिलौने-सी बहू से उसे अतिशय प्यार है। दो वर्ष बाद जब वह वापस लौटता है तो उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी एक टी० बी० सैनेटोरियम में भर्ती है। इन दो वर्षों में सास-ननदों के ताने सुने; घर के समस्त काम किये और अन्ततः बीमार होकर सैनेटोरियम की चारपाई पकड़ ली। कप्तान आता है, उसे हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराता है और उसकी समस्त सेवा-सुश्रूषा स्वयं करता है। डॉक्टरों ने उसके बचने की उम्मीद छोड़ दी तो जीवन से तंग आकर बानो नदी में कूदकर आत्महत्या कर लेती है। कप्तान की दूसरी शादी हो जाती है और उसके तीन बच्चे भी बड़े हो जाते हैं। सोलह-सत्रह वर्षों के बाद जब वह नैनीताल घूमने आता है तो एक चाय की दुकान पर बानो लाटी के रूप में जीवित मिलती है, जिसकी याददाश्त जा चुकी है और वह बोल नहीं सकती।

प्रस्तुत कहानी का अन्त नाटकीय है, कहानी में उत्सुकता, आकर्षण तथा सुगठन है। बानो को लाटी के रूप में जीवित दिखाकर लेखिका ने कथा में एक अकल्पनीय मोड़ प्रस्तुत किया है। कथा-लेखिका ने मुख्य घटना के घटने तक पाठकों की जिज्ञासा को बनाये तथा उन्हें कहानी से बाँधे रखा है। घटना का क्रम, उदय, विकास और उपसंहार अत्यधिक सुनियोजित ढंग से हुआ है। कहानी में प्रवाह और गतिशीलता अन्त तक बनी हुई है। अत: कहा जा सकता है कि कथानक के तत्त्वों की दृष्टि से लाटी एक उत्कृष्ट कहानी है।

(3) उद्देश्य–शिवानी की कहानियाँ चित्रण अथवा घटनाप्रधान होती हैं। इन कहानियों का उद्देश्य मुख्यत: मनोरंजन प्रदान करना ही होता है। इसके साथ ही लेखिका अपने पाठक को आज के समाज की वास्तविकता से भी अवगत कराना चाहती हैं। इस प्रकार कहानी-कला के प्रमुख तत्त्वों की दृष्टि से शिवानी जी की ‘लाटी’ कहानी सफल कहानी है। इसमें प्रारम्भ से अन्त तक पाठक के हृदय को बाँध लेने का गुण विद्यमान है।



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