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    				| 1. | कुछ दिन बाि एक सुुंिर नवयुवक साधुआगरे के बाजारों में गाता हुआ जा रहा था ।लोगों ने समझा, इसकी भी मौत आ गई है । वे उठे कक उसे नगर की रीतत की सूचना िे िें, मगर तनकट पहुुँचने से पहले ही मुग्ध होकर अपने-आपको भूल गए और ककसी को साहस नहुआ कक उससे कुछ कहे । िम-के-िम में यह समाचार नगर में जुंगल की आग के समानफै ल गया कक एक साधुरागी आया है, जो बाजारों में गा रहा है । ससपादहयों ने हथकड़ियाुँसुँभालीुं और पकिने के सलए साधुकी ओर िौिे परुंतुपास आना था कक रुंग पलट गया ।साधुके मुखमुंडल से तेज की ककरणें फूट रही थीुं, जजनमें जािूथा, मोदहनी थी और मुग्धकरने की शजतत थी । ससपादहयों को न अपनी सुध रही, न हथकड़ियों की, न अपने बल की, न अपने कततव्य की, न बािशाह की, न बािशाह के हुतम की । वे आश्चयत से उसके मुख कीओर िेखने लगे, जहाुँसरस्वती का वास था और जहाुँसे सुंगीत की मधुर ध्वतन की धाराबह रही थी । साधुमस्त था, सुनने वाले मस्त थे । जमीन-आसमान मस्त थे । गाते-गातेसाधुधीरे-धीरे चलता जाता था और श्रोताओुं का समूह भी धीरे-धीरे चलता जाता था । ऐसामालूम होता था, जैसे एक समुद्र है जजसे नवयुवक साधुआवाजों की जुंजीरों से खीुंच रहा हैऔर सुंके त से अपने साथ-साथ आने की प्रेरणा कर रहा है ।मुग्ध जनसमुिाय चलता गया, चलता गया, चलता गया । पता नहीुं ककधर को? पतानहीुं ककतनी िेर? एकाएक गाना बुंि हो गया । जािूका प्रभाव टूटा तो लोगों ने िेखा कक वेतानसेन के महल के सामने खिे हैं। उन्होंने िखु और पश्चात्ताप से हाथ मले और सोचा-यह हम कहाुँआ गए? साधुअज्ञान में ही मौत के द्वार पर आ पहुुँचा था । भोली-भालीचचड़िया अपने-आप अजगर के मुुँह में आ फुँ सी थी और अजगर के दिल में जरा भी िया नथी ।२) गद्यांश में प्रयुक्ि शब्द युग्म खोजकर लिखिए १____२_____३____४____ | 
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