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कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

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बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। यह पाठ के निम्नलिखित मार्मिक प्रसंगों से ज्ञात होता 

• भगत ने अपने इकलौते पुत्र के निधन पर न शोक मनाया और न उसके क्रिया-कर्म को ज्यादा तूल दिया। 

• उन्होंने पुत्र केशव को स्वयं मुखाग्नि न देकर अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवायी। 

• उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में कदम उठाते हुए उसके भाई को कहा कि इसको साथ ले जाकर दुबारा विवाह करवा देना। 

• वे साधुओं के संबल लेने और गृहस्थों के भिक्षा माँगने का विरोध करते हुए तीस कोस दूर गंगा स्नान करने जाते और उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते थे।



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