1.

कविता का सारांश अपने शब्दों में बताओ।

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प्रकृति का अर्थ है सूरज, चाँद, नदियाँ, पर्वत, झरनें, पेड आदि से भरा हुआ पर्यावरण। इनके बिना हम प्रकृति के बारे में नहीं सोच सकते । प्रस्तुत किवता में कवि श्री बालस्वरूप राही अगर प्रकृति में ये सब न हो तो, किस प्रकार हम हमारे जीवन बिताते ? – इसी के बारे में बताया।

कवि कहते हैं कि अगर चाँद न हो तो हमें रात के समय रास्ता कौन दिखाता ? अगर सूरज न हो तो दिन में सुनहरे किरणों को कौन प्रसारित करता? अगर निर्मल अर्थात स्वच्छ नदियाँ न होतो जग के सभी प्राणी के प्यास कौन बुझाता? अगर पर्वत न हो तो झरने मीठे पानी लेकर कहाँ बहते ? अर्थात मीठे पानी के झरने नहीं होते ।

अगर पेड न हो तो पर्यावरण में हरियाली नहीं होती अर्थात हरियाली को फैलाने वाले पेड नहीं होते। फूलों का खिलना मुस्कुराहट की तरह होती हैं। अगर फूल न हो तो खिल – खिलकर मुस्काने वाले ‘कोई नहीं होते।

इन्द्रधनुष बहुत सुंदर होती है। वर्षा के दो पर सूरज की किरणें पड़ने से यह आकाश में आविर्भाव होती है। अगर बादल न हो तो इन्द्रधनुष को कौन रच पाता? अंत में कवि कहते हैं कि अगर हम न होते तो ये प्रश्न पूछने वाले भी नहीं होते।



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