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कवियिती किससे क्या खींच रही है?

Answer» कवयित्री साँसों की (कच्चे धागे की) रस्सी से जीवन रूपी नौका को खींच रही है। संसार उतार-चढ़ाव भरा सागर है और साँसों की निश्चितता संदिग्ध है। जीवन में अगले पल या साँस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। अतः जो लक्ष्य है उसके लिए तुरन्त तत्पर हो जाना चाहिए।


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