1.

क्या कारण है कि किसी धातु के लिए एक निश्चित मान से अधिक तरंगदैर्ध्य के प्रकाश से प्रकाश विद्युत उत्सर्जन नहीं होता हैं?

Answer» यदि आपतित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य `lambda` है, तो आपतित प्रकाश की फोटॉन की ऊर्जा `(hc)/(lambda)` होगी।
यदि धातु की देहली तरंगदैर्ध्य `lambda_(0)` है जो एक धातु के लिए नियत है, तो धातु का कार्य फलन `hv_(0)` या `(hc)/(lambda_(0))` होगा जहाँ h को प्लांक नियतांक कहते हैं।
आइंस्टीन के अनुसार, उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा
`E_(k)=(hc)/(lambda)-(hc)/(lambda_(0))`
अब यदि `lambda lt lambda_(0),` तो फोटो-इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा धनात्मक होगी,c अर्थात प्रकाश विद्युत उत्सर्जन होगा।
यदि `lambda gt lambda_(0),` तो `E_(k)=` अर्थात प्रकाश उत्सर्जन नहीं होगा। यदि तो ऋणात्मक, जो असम्भव है, अर्थात तब भी प्रकाश विद्युत उत्सर्जन नहीं होगा ।
अतः किसी धातु के लिए एक निश्चित मान से अधिक तरंगदैर्ध्य के प्रकाश से प्रकाश विद्युत उत्सर्जन नहीं होता है।


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