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लेखक ने जीवन को एक युद्ध क्यों कहा है?

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लेखक जीवन को एक युद्ध मानता है। वह युद्ध लड़ना ही युद्ध नहीं मानता है। उसके विचार में लड़ने वालों तक रसद पहुँचाना भी युद्ध लड़ने के समान है। इसके लिए किसानों को ठीक प्रकार से खेती करनी चाहिए। साथ युद्ध करने वालों की जय-जयकार भी करनी चाहिए। इससे युद्ध करने वालों की हिम्मत बढ़ती है।



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