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लेखक ने फल्गुनी परिवर्तन को क्रांति क्यो कहा है

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क्रांतिकारी बदलाव या रूपांतरण (या क्रांतिकारी विज्ञान) थामस कुह्न द्वारा उनकी प्रभावशाली पुस्तक द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोलुशनस (1962) में प्रयुक्त (पर उनके द्वारा बनाया गया नहीं) पद है जो उन्होंने विज्ञान के प्रभावी सिद्धांत के भीतर मूल मान्यताओं में परिवर्तन को व्यक्त करने के लिये प्रयुक्त किया था। यह सामान्य विज्ञान के बारे में उनके विचार से भिन्न है।

तब से क्रांतिकारी बदलाव शब्द घटनाओं के मूल आदर्श के रूप में परिवर्तन के रूप में मानवीय अनुभव के अन्य कई भागों में भी व्यापक रूप से प्रयोग किया जाने लगा है, हालांकि स्वयं कुह्न ने इस पद के प्रयोग को कठिन विज्ञानों तक ही सीमित रखा है। कुह्न के अनुसार, "क्रांति वह चीज है जिसका केवल वैज्ञानिक समाज के सदस्य ही साझा करते हैं।" (द एसेंसियल टेंशन, 1977). सामान्य वैज्ञानिक के विपरीत कुह्न ने कहा, "विज्ञानेतर विषयों के विद्यार्थी के सम्मुख हमेशा इन समस्याओं के अनेक प्रतिस्पर्धी और अतुलनीय हल होते हैं, ऐसे हल जिनपर उसे स्वयं अपने लिये अंततः विचार करना चाहिए." (द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोलुशनस). एक बार क्रांतिकारी परिवर्तन पूरा हो जाय तो कोई वैज्ञानिक, उदाहरण के लिये, इस संभावना को तथ्य के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता कि रोग मियास्मा के कारण होता है या ईथर से प्रकाश होता है। इसके विपरीत, विज्ञानेतर विषयों के आलोचक मुद्राओं की एक सरणी (उदा. मार्क्सवादी आलोचना, विनिर्माण, 19वीं शताब्दी की शैली की साहित्यिक आलोचना) का प्रयोग कर सकते हैं, जो किसी दी गई अवधि में कमोबेश फैशनेबल हो सकती हैं लेकिन वे सभी विधिसम्मत मानी जाती हैं।

1960 के दशक में इस पद को असंख्य अवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यों में विचारकों द्वारा उपयोगी पाया गया है। ज़ीटजीस्ट के एक रचनात्मक प्रकार के रूप में तुलना करें।



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