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लेखक ने राष्ट्र का क्या स्वरूप बताया है ?अथवाकिन-किन बातों से राष्ट्र का स्वरूप निश्चित होता है?

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भूमि, भूमि पर बसनेवाले लोग और संस्कृति इन तीनों के मेल से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। प्रत्येक राष्ट्र पृथ्वी के एक निश्चित भाग पर अपना अधिकार रखता है। उस भू-भाग में छिपी कीमती धातुओं, रत्नों, नदियों, पर्वतों और वनों का उस राष्ट्र से गहरा सम्बन्ध होता है। राष्ट्र का दूसरा अंग उसके निवासी हैं। वे अपनी धरती को अपनी माता मानते हैं। उनकी यह भावना ही राष्ट्रीयता और एकता का आधार है। राष्ट्र का तीसरा अंग संस्कृति है। संस्कृति राष्ट्र के जीवन का सौंदर्य है। इस प्रकार भूमि, जन और संस्कृति इन तीन चीजों से राष्ट्र का स्वरूप बनता है।



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