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Answer»  शीर्षक का नाम : “लोकगीत” निबन्धकार का नाम : “श्री भगवतशरण उपाध्याय”  - लोकगीत लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। ये जनता के संगीत है।
 - ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं।
 - इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती।
 - इनकी रचना करनेवाले भी ज़्यादातर गाँव के लोग हैं।
 - स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है।
 - लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं।
 - इनका सम्बन्ध देहात की जनता से है।
 - इनकी रचना करनेवाले अपने गीतों के विषय रोज़मर्रा के जीवन से लेते हैं।
 - लोकगीतों की भाषा गाँवों और इलाकों की बोलियों से संबंधित है।
 - ये ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी की मदद से गाये जाते हैं।
 - ये लोकगीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रसिद्ध हैं।
 - इसके आधार पर हम कह सकते हैं कि ग्रामीण जनता के मनोरंजन का साधन लोकगीत है।
  
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