1.

मादक द्रव्य कौन-कौन से होते हैं? इनका शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? सोदाहरण वर्णन कीजिए।

Answer»

प्रमुख मादक द्रव्य तथा उनका शरीर पर प्रभाव,

सभी मादक द्रव्य अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, परन्तु फिर भी अनेक पुरुष एवं स्त्रियाँ इनका सेवन करते हैं। विभिन्न राजकीय एवं व्यक्तिगत माध्यमों के द्वारा मादक द्रव्यों से होने वाली हानियों के विषय में समय-समय पर जानकारियाँ दी जाती हैं, परन्तु आश्चर्य की बात है कि मादक द्रव्यों का सेवन करने वाले मनुष्यों की संख्या में कोई विशेष कमी होती नहीं दिखाई पड़ती है। कुछ प्रमुख मादक द्रव्य निम्नलिखित हैं

(1) अफीम:
यह पोस्त के पौधे से प्राप्त होने वाला एक तीव्र मादक पदार्थ है। पोस्त के कच्चे फलों में चाक लगाकर निकलने वाले दूध अथवा लेटेक्स को सुखाकर अफीम प्राप्त की जाती है। यद्यपि अफीम की खेती एवं व्यापार पूर्ण रूप से राजकीय नियन्त्रण में किया जाता है फिर भी इसकी तस्करी न केवल हमारे देश में, बल्कि प्रायः सम्पूर्ण विश्व में होती है। अफीम को एक मादक पदार्थ के रूप में अनेक प्रकार से उपयोग किया जाता है। कुछ लोग चूर्ण के रूप में खाते हैं, तो कुछ अन्य इसे सँघकर नशा करते हैं। गरीब लोग प्रायः पोस्त के बेकार फलों को पानी में उबालकर इनके संत का सेवन कर नशा प्राप्त करते हैं। अफीम के निरन्तर प्रयोग से होने वाले शारीरिक कुप्रभाव निम्नलिखित हैं

  1. अफीम का सेवन करने से मनुष्य सुस्त एवं आलसी हो जाता है।
  2. अफीम के सेवन से शरीर पीला पड़ जाता है, रक्त की कमी हो जाती है तथा शारीरिक शक्ति क्षीण हो जाती है।
  3. अफीम का सेवन नेत्रों की ज्योति पर कुप्रभाव डालता है।

(2) भाँग:
भाँग के पौधे की पत्तियों को पीसकर प्रयोग करने योग्य भाँग प्राप्त की जाती है। पत्तियों की इस चटनी को सीधे खाया जाता है। कुछ लोग ठण्डाई बनाकर इसका सेवन करते हैं। भाँग से होने वाली हानियाँ निम्नलिखित हैं

  1. मानसिक सन्तुलन कुप्रभावित होता है।
  2. शरीर सुस्त हो जाता है।
  3. भाँग का सेवन, आँतों को दुर्बल व शुष्क बनाता है, जिसके फलस्वरूप पाचन शक्ति कुप्रभावित होती है।

(3) चरस गाँज़ा:
भाँग के पौधों से प्राप्त होने वाले मादक द्रव्य अत्यन्त नशीले पदार्थ हैं। इनका सेवन सिगरेट-बीड़ी एवं चिलम में तम्बाकू के साथ मिलाकर किया जाता है। इनका शरीर पर होने वाला प्रभाव भाँग के समान परन्तु भाँग से कई गुना अधिक होता है।

(4) कोकीन:
यह भी पत्तियों से प्राप्त होने वाला मादक पदार्थ है। कोकीन का सेवन करने वाले मनुष्यों का शरीर एवं सभी इन्द्रियाँ धीरे-धीरे शिथिल पड़ने लगती हैं तथा अन्त में शरीर अत्यधिक दुर्बल हो जाता है।

(5) तम्बाकू:
तम्बाकू के पौधे की पत्तियों को विशिष्ट प्रक्रियाओं द्वारा प्रयोग करने योग्य बनाया जाता है। तम्बाकू का प्रयोग प्राय: तीन प्रकार से किया जाता है। इसे सुपारी, कत्था, पान इत्यादि के साथ खाया जाता है। सिगरेट, बीड़ी व हुक्का इत्यादि के रूप में तम्बाकू का प्रयोग करे धूम्रपान किया जाता है। तथा नसवार के रूप में सुँघने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। तम्बाकू में निकोटिन नामक विषैला पदार्थ होता है। तम्बाकू से होने वाली हानियाँ निम्नलिखित हैं

  1. धूम्रपान करने से नाक, गले तथा फेफड़ों में शुष्कता आती है, जिसके फलस्वरूप खाँसी व कफ बनने की बीमारी उत्पन्न हो जाती है।
  2. पाचन शक्ति कुप्रभावित होती है।
  3. तम्बाकू के निरन्तर प्रयोग से निद्रा कम आती है।
  4. इसके सेवन से हृदयगति तीव्र हो जाती है, जिसके फलस्वरूप उच्च रुधिर चाप रहने लगता है।
  5. तम्बाकू में पाया जाने वाला विषैला पदार्थ निकोटिन रुधिर केशिकाओं को संकुचित करता रहता है, जिसके परिणामस्वरूप हृदय रोगों के होने की सम्भावनाओं में वृद्धि होती है।
  6. तम्बाकू का अधिक सेवन मस्तिष्क को भी कुप्रभावित करता है।
  7. आधुनिक वैज्ञानिक खोजों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि तम्बाकू का सेवन करने वाले मनुष्यों में कैंसर जैसा असाध्य रोग अधिक होता है।

(6) मदिरा या शराब:
मदिरा का मादक अवयव ऐल्कोहॉल होता है। विभिन्न प्रकार की मदिरा में ऐल्कोहॉल की प्रतिशत मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। उदाहरण के लिए–बीयर में ऐल्कोहॉल 7% तक तथा अंग्रेजी व देशी मदिरा में 42% तक होता है। मदिरा एक मूल्यवान् मादक पेय है, जिसके सेवन की आदत पड़ जाने पर अच्छे-अच्छे परिवारों की आर्थिक व्यवस्था चरमरा जाती है। मदिरापान से शरीर परे | होने वाले कुप्रभाव निम्नलिखित हैं

  1. मदिरापान का मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव पड़ता है। कम मात्रा में यह मादकता वे उत्तेजना उत्पन्न करती है। अधिक मात्रा में यह केन्द्रीय तन्त्रिका-तन्त्र को दुर्बल कर देती है तथा स्मरण-शक्ति एवं नेत्र-ज्योति को कुप्रभावित करती है।
  2. मदिरापान उच्च रक्तचाप उत्पन करता है, जिससे हृदय रोगों की सम्भावनाओं में वृद्धि होती है।
  3. मांसपेशियाँ धीरे-धीरे शिथिल एवं दुर्बल हो जाती हैं।
  4. पाचन-तन्त्र दुर्बल एवं विकृत हो जाती है।
  5. अधिक मदिरापान से गुर्दो की कार्यक्षमता क्षीण हो जाती है।
  6. शरीर में विटामिन्स की कमी हो जाती है; अतः रोग-प्रतिरोधक शक्ति क्षीण हो जाती है।
  7. गर्भवती महिला के मदिरापान करने से गर्भस्थ शिशु विकृत हो सकता है।


Discussion

No Comment Found