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माइक्रो तरंगें क्या हैं? इनका प्रसारण किस प्रकार किया जाता है? इनका एक प्रमुख उपयोग भी समझाइये।

Answer» वे विद्युत् चुम्बकीय तरंगें जिनकी तरंगदैश्ष्य । मिमी से 100 मिमी तक होती है, सूक्ष्म अथवा माइक्रो तरंगेकहलाती हैं। इन तरंगों की तरंगदैर्घ्य छोटे होने के कारण ये सीधी रेखा में चलती हैं। इन तरंगों के लिए वायुमण्डल पारदर्शी होती है। इन तरंगों को एक किरण पुँज के रूप मेंदिशा में आसानी से भेजी जा सकती हैं।
माइक्रो तंरगों के संचरण हेतु कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग किया जाता है । इसके लिए एक कृत्रिम उपग्रह को पृथ्वी तल से लगभग 36,000 किमी. की ऊँचाई पर भूमध्य रेखीय तल में वृत्तीय कक्षा में स्थापित किया जाता है। इस कक्षा में कृत्रिम उपग्रह का पृथ्वी के परितः आवर्तकाल 24 घंटा होता है, जो कि पृथ्वी केअपने अक्ष के परितः घूर्णन के आवर्त काल के तुल्य होता है। इन उपग्रहों को तुल्यकारी या भू-स्थायी उपग्रह कहते हैं। पृथ्वी पर स्थित प्रेषित्र से माइक्रो तरंगों को इस उपग्रह पर भेजा जाता है। उपग्रह द्वारा इन्हें अभिगृहीत करके प्रवर्धित किया जाता है एवं पुनः पृथ्वी की ओर प्रेषित किया जाता है। इस प्रकार माइक्रो तरंग को बहुतअधिक दूरी तक प्रसारित किया जा सकता है।
माइक्रो तरंगों का मुख्य उपयोग रेडार में दुश्मन केहवाई जहाज की स्थिति पता लगाने के लिए किया जाता है। रेडार द्वारा इन तरंगों को निश्चित दिशा में प्रेक्षित कियाजाता है। ये तरंगें हवाई जहाज से परावर्तित होकर वापस उसी दिशा में लौट आती हैं। इस प्रकार प्रेषित तथा अभिगृहित तरंगों का समय अन्तर ज्ञात होने पर हवाई जहाज की दूरी ज्ञात की जा सकती है।
यदि यह समय । हो तो हवाई जहाज की दूरी d = df.


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