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मामा पहलवान ने भारत की गुरु-शिष्य परंपरा के बारे में क्या कहा?

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एक पारसी पत्रकार ने गामा पहलवान से पूछा था कि विश्व के पहलवानों को ललकार ने के पहले आप अपने अमुक शिष्य को कुश्ती में जीतकर क्यों नहीं दिखाते? उत्तर में गामा ने कहा कि आप जिसकी बात कर रहे हैं, वह मेरा शिष्य मुझे मेरे बेटे से भी अधिक प्यारा है। हम लोगों में वंशपरंपरा से अधिक शिष्यपरंपरा का महत्त्व है। हम चाहते हैं कि हम अपने शिष्यों से कम रहे। वे संसार में मुझसे अधिक नाम कमाएं। इस प्रकार गामा पहलवान ने पत्रकार को भारत की गुरु-शिष्य परंपरा के बारे में बताकर उसका मुंह बंद कर दिया।



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