InterviewSolution
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                                    मार्क्स के अनुसार विभिन्न वर्गों में संघर्ष क्या होते हैं? | 
                            
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Answer»  मार्क्स के लिए व्यक्ति को सामाजिक समूहों में विभाजित करने वाला सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आधार उत्पादन प्रक्रिया है। उत्पादन प्रक्रिया में जो व्यक्ति एक जैसे पदों पर आसीन होते हैं, वे स्वतः ही एक वर्ग निर्मित करते हैं। उत्पादन प्रक्रिया में अपनी स्थिति के अनुसार तथा संपत्ति के संबंधों में उनकै एक जैसे हित तथा उद्देश्य होते हैं। यही सामान्य हित वर्ग के सदस्यों में वर्ग के प्रति जागरूकता विकसित करते हैं। मार्क्स ने पूँजीवादी समाज में दो प्रमुख वर्गों का उल्लेख किया है- एक पूँजीपतियों का वर्ग (बुर्जुआ वर्ग) जिसका उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण होता है तथा दूसरा सम्पत्तिविहीन सर्वहारा वर्ग जिसके सदस्यों को अपनी आजीविका के लिए मजबूरी में श्रमिकों के रूप में काम करना पड़ता है। इन वर्गों के उद्देश्य परस्पर विरोधी होते हैं। वर्ग चेतना विकसित होने के उपरांत राजनीतिक गोलबंदी के तहत इन दोनों में वर्ग संघर्ष विकसित होने लगते हैं। मार्क्स का मत था-“प्रत्येक विद्यमान समाज का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है।” आदिम युग से लेकर आधुनिक युग के समाज तक समाज में दो वर्ग ही प्रमुख रहे हैं-एक शोषक वर्ग तथा दूसरा शोषित वर्ग। इन दोनों वर्गों के नाम विभिन्न युगों में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। शोषक और शोषित वर्ग, एक-दूसरे का कभी दबे रूप में और कभी खुले रूप में निरंतर विरोध करते रहे हैं। यही विरोध वर्ग संघर्ष के रूप में प्रतिफलित होता रहा है। माक्र्स ने कल्पना की थी कि एक दिन सर्वहारा वर्ग पूँजीपतियों को खदेड़कर उत्पादन के साधनों पर अपना अधिकार जमा लेगा तथा ऐसे समाज का निर्माण होगा जिसे उन्होंने ‘वर्गविहीन समाज’ की संज्ञा दी।  | 
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