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मअनुच्छेद - मनुष्य में घटती मनुम्यत​

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मानवता उस भाव का नाम है जब कोई व्यक्ति दुसरे को दर्द में देखकर दुखी हो जाता है और दुसरों को सुखी देखकर खुश हो जाता है। मानवता ही एक ऐसा भाव है जिसके कारण मनुष्य दुसरे के हित में कार्य करता है। प्राचीन काल से ही यह कहा जाता है कि मनुष्य को परोपकार करना चाहिए और दुसरों की मदद करनी चाहिए। मानवता और परोपकार ही ऐसे भाव है जिनकी वजह से पृथ्वी पर जीवन संभव है लेकिन यह हर व्यक्ति में नहीं पाया जाता है। मानवता का भाव रखने वाला व्यक्ति निस्वार्थ होकर दुसरों की मदद करता है और दुसरे के हित के लिए कार्य करता है।

मानवता ही है जिससे प्रभावित होकर मनुष्य विपदा में दुसरों की मदद करता है और पशुओं पर दया करता है। मानवता प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। मानवता ही है जिसे हर व्यकति मिल जुलकर विकास की राह पर चल सकता है।

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