1.

मधुर वचन वह रसायन ह जी पारस का भाति लाह का साना बना देता है। मनुष्य काबात ही क्या, पशु-पक्षी भी उसके वश में हों, उसके साथ मित्रवत् व्यवहार करने लगतेहैं। व्यक्ति का मधुर व्यवहार पाषाण-हृदयों को भी पिघला देता है। कहा भी गया है"तुलसी मीठे बचन ते, जग अपनो करि लेत' ।निस्सन्देह मीठे वचन औषधि की भाति श्रोता के मन की व्यथा, उसकी पीड़ा व वेदना कोहर लेते हैं। मीठे वचन सभी को प्रिय लगते हैं। कभी-कभी किसी मृदुभाषी के मधुर वचनघोर निराशा में डूबे व्यक्ति को आशा की किरण दिखा उसे उबार लेते हैं, उसमेंजीवन-संचार कर देते हैं उसे सान्त्वना और सहयोग देकर यह आश्वासन देते हैं कि वहव्यक्ति अकेला व असहाय नहीं, अपितु सारा समाज उसका अपना है, उसके सुख-दुखका साथी है। किसी ने सच कहा हैho"मधुर वचन हैं औषधि, कटुक वचन हैं तीर।"मधुर वचन श्रोता को ही नहीं, बोलने वाले को भी शांति और सुख देते है। बोलने वालेके मन का अहंकार और दभ सहज ही विनष्ट हो जाता है। उसका मन स्वच्छ औरनिर्मल बन जाता है। वह अपनी विनम्रता, शिष्टता एवं सदाचार से समाज में यश, प्रतिष्ठाऔर मान-सम्मान को प्राप्त करता है। उसके कार्यों से ही नहीं, समाज को भी गौरव औरयश प्राप्त होता है और समाज का अभ्युत्थान होता है। इसके अभाव में समाज पारस्परिककलह, ईर्ष्या-द्वेष, वैमनस्य आदि का घर बन जाता है। जिस समाज में सौहार्द नहीं,सहानुभूति नहीं, किसी दुखी मन के लिए सान्त्वना का भाव नहीं, वह समाज कैसा? वहतो नरक है।मधुर वचन निराशा में डूबे व्यक्ति की सहायता कैसे करते हैं ​

Answer»

ANSWER:

निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

कल रात को मां को पैसे मिले और आज सबेरे वह सब काम छोड़कर पहले साबुन लेने गई। अभी लौटी है अत: घीसा

कपड़े धो रहा है, क्योंकि गुरु साहब ने कहा था कि नहा-धोकर साफ कपड़े पहन कर आना। और अभागे के पास कपड़े

ही क्या थे। किसी दयावती का दिया हुआ एक पुराना कुरता, जिसकी एक आस्तीन आधी थी और एक अंगोछा-जैसा

फटा टुकड़ा। जब घीसा नहाकर गीला अंगोछा लपेटे और आधा भीगा कुरता पहने अपराधी के समान मेरे सामने आ

खड़ा हुआ, तब आंखें ही नहीं, मेरा रोम-रोम गीला हो गया। उस समय समझ में आया कि द्रोणाचार्य ने अपने शिष्य से

अंगूठा कैसे कटवा दिया था।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions