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Mere soach Hindi essay |
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Answer» हमारे विचारों में सत्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सत्य ही ईश्वर है। स्वार्थ, द्वेष, नफरत, दुश्मनी, अंहकार, क्रोध, ईष्र्या, बाहरी जगत की जरूरतों की अत्याधिक लालसा इत्यादि वाले विचारों से दूरी बनाने का प्रयास करना है। हमें यह जान लेना है कि विचार मैं ही बनाता हूँ और मैं ही उन विचारों को समाप्त कर सकता हूँ। दूसरे क्या सोचते हैं इसकी चिन्ता मुझे नहीं करनी है। मुझे अपने पर ध्यान देना है। मेरी सोच / मेरे संस्कार / मेरी आदतें मेरे विचारों द्वारा निर्मित होते हैं। मैं ही इन्हें नियंत्रित कर सकता हूँ। मेरी आदतें/मेरे संस्कार ही मेरे व्यक्त्वि का आधार हैं। मेरी सोच के द्वारा किए गए कार्य के फलस्वरूप मेरा भाग्य बनता है। मैं गलत सोच के कार्य करूंगा तो मेरा भाग्य भी अंधकारमय हो जाएगा। परनिंदा से बचना है। बहस से बचना है। बहस से अंहकार उत्पन्न होता है। बीती बातों को याद करना, अपने सुखे धावों को कुरेदने के समान है। हमारे विचार बाहरी जगत की सूचनाओं, परिथितियों एवं मान्यताओं पर केन्द्रित होते हैं। दूसरे क्या सोचते हैं इसकी चिंता मत करो मैं क्या सोचता हूँ वही महत्वपूर्ण है। मन की खुशी क्या है। खुशी मेरे अन्दर है उसे मुझे किसी से लेने या खरीदने कहीं जाना नहीं पड़ता। हमारी कोई जरूरत पूरी होती है तब मन प्रसन्न हो जाता है। मन की खुशी कार्य की सम्पन्नता से भी होती है। हमारा मन हमेशा प्रसन्न जब ही रह सकता है जब हमारे विचार/हमारी सोच एक सही दिशा में ही कार्यवान्वित हो रहे हो। |
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