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महिला सशक्तिकरण में शिक्षा और समाज की भूमिका की व्याख्या कीजिए​

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महिलाएं जब तक शिक्षित नहीं होगी तब तक वह आगे नहीं बढ़ सकती, इसलिए महिला सशक्तीकरण के लिए शिक्षा का महत्व सर्वोपरि है। जब हम शिक्षित होंगे तभी अपने अधिकारों, कर्तव्य एवं अपने कानूनों को जान पाएंगे। ... महिला सशक्तिकरण में समाज की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। देश की समग्र प्रगति तब तक नहीं हो सकती, जब तक उस देश की राजनीति से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में वहां की महिलाएं सशक्त बन कर न उभरी हों। तमाम प्रभावी नीतियों और योजनाओं के बावजूद हकीकत यह है कि महिलाएं व्यावहारिकता में अब भी तरह-तरह की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं से जूझ रही हैं। निश्चित तौर पर यह मानना होगा कि जब तक परिवार और समाज सकारात्मक सोच के साथ आगे नहीं बढ़ेगा, तब तक महिलाओं के विकास और सशक्तिकरण की बातें करना महज एक कल्पना ही होगी।

समाज में प्रत्येक पुरुष और महिला को संविधान द्वारा समान तौर पर समस्त मूलभूत अधिकार दिए गए हैं, लेकिन फिर भी किसी न किसी रूप में सामाजिक रूढ़िवादी मान्यताओं और विषमताओं के कारण महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। अत: इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे के समाधान की दिशा में हमारे देश में स्थित कई गैर सरकारी और स्वैच्छिक संस्थाएं, लिंग विभेद और महिलाओं से जुड़ी अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से सहयोग लेकर अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं।



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