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महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्याएँ।जब उससे इसका कारण पूछा गया तो उसका उत्तर था-“प्रियवर! आप भूल गए हैं कि हमने इस विधान को किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाया है। हमने यह विधान इसलिए बनाया है कि हम कोई वंशपरम्परागत राजा नहीं चाहते थे, हम कोई पैतृक शासन नहीं चाहते थे। हम कोई अनन्य शासक या डिक्टेटर भी नहीं चाहते थे। यदि इंग्लैण्ड के राजा की अधीनता त्याग कर, आप लोग इस देश में आकर भी, मुझको ही प्रतिवर्ष, प्रति कालविभाग अपना प्रेसिडेण्ट बनाये रहने लगे, मेरी ही पूजा करने लगे तो आपके सिद्धांतों का क्या होगा? जब आप मुझे ही इंग्लैण्ड के राजा का स्थानापन्न बना देते हैं, तब आप क्या कह सकते हैं कि आपने उसके अधिकार के प्रति विद्रोह किया है?” उसने कहा-“आपका मेरे प्रति जो विश्वास है, जो भक्ति-भाव है उसके कारण आप चाहे मुझ पर दूसरी बार प्रेसिडेण्ट बनने के लिए दबाव डालने पर मजबूर हो, लेकिन जब मैंने ही इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है कि हमें वंशानुगत शासन नहीं चाहिए, तो मुझे आपकी भक्ति-भावना के वशीभूत होकर भी दूसरी बार खड़ा नहीं होना चाहिए।

Answer»

कठिन शब्दार्थ-विधान = नियम। उद्देश्य = लक्ष्य। वंशपरम्परागत = एक ही वंश में जन्म लेने वालों पर आधारित। पैतृक = पिता से पुत्र को प्राप्त। अनन्य = एक ही, एकमात्र। डिक्टेटर = तानाशाह। काल-विभाग = कार्यकाल। प्रेसीडेंट = राष्ट्रपति। स्थानापन्न = स्थान पर कार्य करने वाला। प्रतिपादन = स्थापना करना, बनाना। वंशानुगत = एक ही परिवार में जन्म लेने वाले व्यक्ति के अधीन।

सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘सृजन’ में संकलित “सफल प्रजातंत्रवाद के लिए आवश्यक बातें” शीर्षक पाठ से लिया गया है। यह डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा दिया गया भाषण है।

डॉ. अम्बेडकर का कहना है कि प्रजातंत्र की सफलता के लिए वाशिंगटन को लोग दूसरी बार भी राष्ट्रपति बनाना चाहते थे किन्तु वह इस कारण तैयार नहीं थे कि राष्ट्रपति पद किसी राजा का वंशपरम्परानुगत पद नहीं है।

व्याख्या-जार्ज वाशिंगटन से लोगों ने पूछा कि वह दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति क्यों नहीं बनना चाहते तो उन्होंने बताया कि अमेरिका का विधान एक उद्देश्य को पूरा करने के लिए बनाया गया है। इस विधान के अनुसार अमेरिका एक लोकतंत्र है तथा उसका राष्ट्रपति एक निश्चित कार्यकाल के लिए ही चुना जाएगा। इस विधान को बनाने का उद्देश्य यह था कि अमेरिका के लोग एक ही वंश में उत्पन्न होने वाला राजा नहीं चाहते। वे नहीं चाहते कि पिता के पश्चात् उसका पुत्र शासन करे। वे कोई एकमात्र अटल शासक थवा तानाशाह भी नहीं चाहते। वे हर बार अपना नया राष्ट्रपति चुनेंगे। इंग्लैंड के राजा की अधीनता छोड़कर अमेरिका में आने के बाद भी वे उनको हर साल अथवा प्रत्येक कार्यकाल के लिए अपना राष्ट्रपति चुनेंगे तो जो नियम बनाया गया है, उसका उल्लंघन होगा। इससे सिद्धांतों की हानि होगी। अमेरिका का राष्ट्रपति भी एक तरह से इंग्लैंड के राजा जैसा हो जाएगा। इससे इंग्लैंड के राजा के प्रति हुए विद्रोह का लक्ष्य ही नष्ट हो जाएगा। यदि उनके प्रति श्रद्धा की भावना और विश्वास के कारण उनसे दूसरी बार राष्ट्रपति बनने का आग्रह किया जाता है तो नियम टूटेगा जिसको बनाने वाले वह स्वयं ही हैं। अत: उनको दूसरी बार राष्ट्रपति पद लोगों के श्रद्धा भाव के कारण ही स्वीकार नहीं करना चाहिए।

विशेष-
(i) लोकतंत्र की सफलता नियमों-कानूनों को मानने पर ही निर्भर होती है। अपने हित में किसी नियम को नहीं तोडना चाहिए।
(ii) अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन प्रजातांत्रिक मूल्यों के संवर्द्धन के लिए पुनः राष्ट्रपति पद के लिए खड़े होना नहीं चाहते थे।
(iii) भाषा विषयानुकूल है तथा उसमें प्रवाह है।
(iv) शैली उदाहरणात्मक है।



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