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मञ्जूषात: शब्दान् चित्वा निर्दिष्टस्तम्भेषु लिखत − नगाधिराज: दिशि इन्दो: सिद्धा: करिभि: किरणै: द्रुमाणाम् स्रुतक्षीरतया क्षुद्रे छायायाम् ग्रहासु महाकाव्ये श्रृङ्गाणि विघट्टितानाम् मानदण्ड: प्रभवस्य य: घनानाम् वृष्टिभि: कालिदासेन प्रथमाविभक्ति: तृतीयाविभक्ति: षष्ठीविभक्ति: सप्तमीविभक्ति: यथा य: करिभि: इन्दो: गुहासु -------------- -------------- ------------- ---------------- -------------- -------------- ------------- ---------------- ------------- --------------- ------------- ---------------- ------------- --------------- ------------- -----------------

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मञ्जूषात:
शब्दान्
चित्वा निर्दिष्टस्तम्भेषु
लिखत
















































नगाधिराज:



दिशि



इन्दो:



सिद्धा:



करिभि:



किरणै:



द्रुमाणाम्



स्रुतक्षीरतया



क्षुद्रे



छायायाम्



ग्रहासु



महाकाव्ये



श्रृङ्गाणि



विघट्टितानाम्



मानदण्ड:



प्रभवस्य



:



घनानाम्



वृष्टिभि:



कालिदासेन




































































प्रथमाविभक्ति:



तृतीयाविभक्ति:



षष्ठीविभक्ति:



सप्तमीविभक्ति:



यथा



:



करिभि:



इन्दो:



गुहासु





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