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मृत्यु-दर की माप अशोधित क्यों है? स्पष्ट कीजिए।

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मृत्यु-दर की माप के अशोधित होने के कारण मृत्यु-दर की माप के कुछ दोष/त्रुटियाँ हैं जिस कारण इसे अशोधित मृत्यु-दर कहा जाता है

⦁    इसमें औसत मृत्यु – दर निकाली जाती है अर्थात् इसमें कम और अधिक मृत्यु-दर वाले दोनों आयु वर्गों को शामिल कर लिया जाता है।

⦁    कुल जनसंख्या का स्रोत जनगणना है जबकि मृत्यु की संख्या का स्रोत पंजीकरण है। दो भिन्न स्रोतों से प्राप्त आँकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण एक अवैज्ञानिक प्रक्रिया है।

⦁    जनगणना एक दशक के बाद होती है जबकि मृत्यु का पंजीकरण किसी वर्ष विशेष से सम्बन्धित होता है। अत: भिन्न समयावधियों में एकत्रित आँकड़ों के आधार पर परिणाम निकालना वैज्ञानिक एवं तथ्यपूर्ण नहीं हो सकता।



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