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नदी पानी का एक प्राकृतिक संसाधन है जो हमें स्वच्छ जल उपलब्ध करवाती हैं। नदियाँ सर सर की आवाज के साथ बहती हैं। इन्हें सरिता, प्रवाहिनी आदि नामों से भी जाना जाता है। जिस स्थान पर नदियों का जन्म होता है उसे नदी का उद्गम कहते हैं और जहाँ पर नदी की धारा बहती है उसे नदी घाटी कहा जाता है। पहाड़ो पर जमी बर्फ पर सूर्य की किरणों के पड़ने से नदी उत्पन्न होती हैं। यह कभी झरनों के रूप में बहती है तो कभी नहरों और नदियों के रूप में। चट्टानों से टकराकर यह अपना रूख बदल लेती हैं।

नदियाँ दो प्रकार की होती है- सदानीर और बरसाती। सदानीर नदियाँ वह होती है जिनमें हमेशा पानी रहता है और इनका मुख्य स्त्रोत झील, नहरें तालाब आदि है। बरसाती नदियाँ सिर्फ बरसात के मौसम में भरी होती हैं और यह पानी के लिए मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर रहती है। नदी का स्वभाव है हमेशा आगे बढ़ते रहना इसलिए वह निरंतर बहती रहती है। नदियाँ हमारे इतिहास की भी गवाह है क्योंकि सभी सभ्यताओं का जन्म इसी के तट पर हुआ है। विश्व में बहुत सी पवित्र नदियाँ भी है जिनका जिक्र पुराणों में भी किया गया है। नदियों के कारण ही बहुत से स्थान तीर्थ स्थल के रूप में पूजे जाते हैं।

नदियाँ हमारे लिए बहुत सहायक है और हमारी अच्छी दोस्त भी हैं। नदियाँ हमें पीने के लिए जल प्रदान करती हैं और साथ ही खेतों में सिंचाई के लिए भी सहायक है। नदियों में बहुत सारी वनस्पति, मगरमच्छ, मछलियाँ आदि रहती है। अब लोग नदियों में बहुत सी क्रिड़ा जैसै कि रिवर राफ्टिंग आदि करने लगे हैं। धीरे धीरे लोग नदियों में कूड़ा करकट डालकर उन्हें दुषित करते जा रहे हैं जो कि बहुत ही हानिकारक हैं। हम सबको मिलकर नदियों को साफ रखना चाहिए और इसके लिए सरकार ने भी स्वच्छ भारत अभियान चलाया है।

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