InterviewSolution
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`[Ni(H_(2)O)_(6)]^(2+)` के विलयन का रंग हरा है जबकि `[Ni(CN)_(4)]^(2-)` विलयन रंगहीन है | क्यों ? |
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Answer» `[Ni(H_(2)O)_(6)]^(2+)` में Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 तथा `Ni^(2+)` का विन्यास `3d^(8)` है | अर्थात इसमें दो इलेक्ट्रॉन अयुग्मित है | `H_(2)O` दुर्बल क्षेत्र प्रभाव वाला लिगेंड है | इसकी उपस्थिति में इलेक्ट्रॉन युग्मित नहीं होते | अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होने के कारण इसमें d-d संक्रमण होता है | अतः यह रंगीन (हरा) होता है | d-d संक्रमण लाल प्रकाश को अवशोषित कर लेता है तथा इसके पूरक हरे प्रकाश को उत्सर्जित करता है | `[Ni(CN)_(4)]^(2-)` संकर आयन में भी Ni की ऑक्सीकरण अवस्था +2 होती है तथा विन्यास `3d^(8)` होता है | परन्तु `CN^(-)` लिगेंड के प्रबल क्षेत्र प्रभाव के कारन 3d-आर्बिटलों में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन भी यग्मित हो जाते है | इस प्रकार `Ni^(2+)` आयन में कोई भी अयुग्मित इलेक्ट्रॉन शेष नहीं रहता | इस कारण d-d संक्रमण सम्भव नहीं होता है और यह रंगहीन है | |
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