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Niband in hindi of selfie sahi hai yaa galta

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सेल्फी को लेकर लोग क्रेजी हो गए हैं। सेल्फी शौक में शुमार हो चला है। मोबाइल सेल्फी हमारी आम जिंदगी का हिस्सा बन गया है। इस शौक का असर इतना हावी है कि लोग दस घंटे अपनी दिनचर्या का सेल्फी और सोशल मीडिया पर जाया कर रहे हैं। युवाओं में यह चाहत खास पहचान बन गयी है। देश में इसकी वजह हमारे पीएम मोदी जी भी हैं। जापानी प्रधनमंत्री आबे और दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्षों में एक अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के साथ उनकी सेल्फी काफी चर्चित रही है। यूं कहें सेल्फी मोदी जी का खास शगल है। दूसरी भाषा में यह कहा जा सकता है कि वे तकनीकी का बेहतर इस्तेमाल करते हैं या फिर उनका यह मीडिया को अपनी तरफ आकर्षित करने का अपना तरीका है। देश के वे पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने इस तकनीकी का उपयोग किया है। हालांकि इसके पीछे डिजिटल इंडिया की उनकी सोच है। वैसे भी विदेशी दौरे पर भी सेल्फी लेना वे नहीं भूलते। लेकिन सेल्फी को लेकर उत्तर प्रदेश सुर्खियों में है। यहां कि एक महिला आईएएस ने अपने साथ सेल्फी लेने पर एक युवक को जेल भिजवा दिया। उसका जुर्म बस यह रहा की डीएम के साथ उसने सेल्फी ली। यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो चला है। मीडिया में भी बहस छिड़ी है कि सेल्फी लेना क्या जुर्म है। यह मामला बुलंदशहर का है। यहां की महिला डीएम बी चंद्रकला के साथ सेल्फी लेना सिराज नामक युवक को खासा महंगा पड़ गया। जिसका नतीजा यह रहा डीएम ने उसके खिलाफ केस कर दिया और उसे जेल तक जाना पड़ा। मीडिया में जो बात डीएम की तरफ से आयी उसमें कहा गया है कि इजाजत के बिना सेल्फी लेना अपराध है। हालांकि बाद में मामले के तूल पकड़ने पर डीएम ने युवक को माफ करने की बात कही। इस मामले में एक पत्रकार के साथ भी डीएम ने बदसलूकी भरी नसीहत दी। सवाल पूछने पर अगर उनकी तरह सभी उपदेश दें तो देश में पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की आजादी दमतोड़ देगी। बुलंदशहर की डीएम पहले भी चर्चा में रही हैं। खराब सड़क बनाने वालों पर गुस्सा करने का उनका वीडियो चर्चा में था। बात चाहे जो भी हो लेकिन इस मसले ने एक नई बहस छेड़ दी है। वैसे भी दुनिया में बढ़ता सेल्फी का शौक मौत का कारण भी बन रहा है, लेकिन सेल्फी लेना-देना कोई गुनाह नहीं हो सकता। सेलिब्रिटी या बड़े लोगों के प्रति आम लोगों और लड़के लड़कियों का लगाव आम बात रही है। कभी ऑटोग्राफ का दौर था आज सेल्फी का। कल हस्ताक्षर पास रखने की होड़ थी आज चेहरे की। बस बदलाव आया है तो तकनीकी और तरीकों में। मनोचिकित्सकांे के विचार में यह शौक एक मनोविकार का रुप पकड़ रहा है। जरूरत से अधिक खुद की या दूसरों संग ली गयी तस्वीर सोशल मीडिया पर डालना एक तरह की पागलपन की बीमारी है। दुनिया भर में इससे जुड़ी होनेवाली मौतों में आधे से अधिक भारत में होती हैं। 2015 में दुनिया में सेल्फी लेने में 27 मौत हुई जिसमें आधी भारत में। भारत में सेल्फी के शौक में एक जापानी पर्यटक की मौत भी हो चुकी है। 2016 के शुरूआत में तीन मौत हो चुकी है। मुम्बई के युवाओं में इसके प्रति बढ़ते शौक और मौत को देखते हुए सरकार ने 15 नो सेल्फी जोन बनाया है, जहां सेल्फी लेना प्रतिबंधित हैं। नासिक कुंभ में भी इस पर रोक थी क्योंकि इस तरह भगदड़ मच सकती थी। रूस की सरकार भी इस पर हिदायत जारी कर चुकी है। यह मौत का कारण भी बन रही है। चलती ट्रेन, ऊंचे पहाड़ों और खतरनाक घाटों और बीचों के साथ रेल पटरियों पर इसका शगल बढ़ा है, जिससे मौत में इजाफा हो रहा है। मनोचिकित्सकों ने सेल्फियो को तीन भागों में बांटा है। दिन भर में तीन सेल्फी लेना और उसे सोशल मीडिया में पोस्ट न करना। इसे बॉर्डर लाइन सेल्फीटिस कहा गया है। दूसरे स्टेज पर एक्यूट आते हैं, जो उतनी तस्वीरें खींच सोशल मीडिया पर डालते हैं। तीसरे पर क्रोनिक आते हैं। यह प्रक्रिया छह बार से भी अधिक करते हैं। यूनाइटेड किंगडम में एक युवक दिन भर में दो सौ बार सेल्फी लेने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं होता था। उसकी ओर से खुदकुशी की कोशिश भी की गयी।



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