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निबंध लेखन :आदर्श विद्यार्थी

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जो विद्या (प्राप्त करता है) का आर्जन करता है, चाहता है, वह विद्यार्थी है जो विद्यार्थी उत्तम गुणों का पालन करता है, उसे आदर्श विद्यार्थी कहते हैं। अध्ययनकाल विद्यार्थी के भावी जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है। विद्यार्थी इस जीवनकाल में उत्तम गुणों को अपनायेगा तो उसका भविष्य उज्ज्वल होगा।

सबसे पहले आदर्श विद्यार्थी को नम्र होना चाहिए। नम्रता ही विद्यार्थी का आभूषण है। अपने माता-पिता के प्रति और अपने अध्यापकों के प्रति उसका आचरण सदैव विनम्र होना चाहिए। कहा गया है ‘विद्या ददाति विनयम्’ अर्थात् विद्या विनय प्रदान करती है विद्यार्थी को आज्ञाकारी होना चाहिए। बड़ों की आज्ञा का पालन करना, विद्यार्थी का प्रथम कर्तव्य है। वास्तव में जो आज्ञा का पालन करता है। यही अनुशासन है। विद्यार्थी को अनुशासन प्रिय होना चाहिए। अनुशासन से विद्यार्थी में शिष्टता तथा शालीनता के गुण आते हैं।

आदर्श विद्यार्थी को समय का सदुपयोग करना चाहिए। समय की महत्ता जानकर विद्यार्थी को अपने जीवन में लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। विद्यार्थी के जीवन का प्रमुख लक्ष्य विद्याध्ययन है। इस कारण इसे अपना सारा … समय अध्ययन में लगाना चाहिए। वर्ग में पढ़ाये गये विषयों को ध्यानपूर्वक सुनकर उन्हें स्मरण तथा मनन करने का प्रयत्न करना चाहिए। विद्यार्थी को अपने व्यक्तिगत स्वार्थों को त्यागकर सदैव परिश्रम करना चाहिए। उसे जिज्ञासु होना चाहिए। नये विषयों की जानकारी के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए।

आज विद्यार्थियों की स्थिति ठीक नहीं है। वे अपने कर्तव्य को भूलते जा रहे हैं और आये दिन बुरे गुणों का शिकार बनते जा रहे हैं। अनुशासन तो उनके जीवन में नहीं के बराबर है। नम्रता उनसे कोसों दूर है। वे अपने अध्यापक की हँसी उड़ाते हैं और परीक्षा के समय उन्हें पीटने को प्रस्तुत होते हैं। गुरु के प्रति आदर जताना वे अपना अपमान समझने लगे हैं। अपना बहुमूल्य समय वे सिनेमा देखने में सैर-सपाटे में मजाक में और व्यर्थ की बातों में बरबाद करते हैं। हर बात के लिए आज के विद्यार्थी आन्दोलन मचाने तथा तोड़फोड़ की बात करते हैं। विद्या सीखने की ओर उनका ध्यान कम रहता है। अपने शारीरिक सुखों के लिए अनैतिक कार्यों को करने के लिए वे पीछे भी नहीं हटते।

विद्यार्थी अपने भावी जीवन को उज्ज्वल बनाना चाहें तो उनमें नम्रता अनुशासन की भावना, समय के सदुपयोग का ज्ञान और अध्ययन के प्रति रुचि आदि का होना आवश्यक है, तभी वह आदर्श विद्यार्थी कहलाता है। आदर्श विद्यार्थी ही देश का सच्चा नागरिक सिद्ध होगा। उन्हीं के कंधों पर देश का भविष्य निर्भर है।



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