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निबंध लेखन :बकारा का समस्या

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प्रस्तावना :
जब काम करनेवालों की अधिकता और काम की कमी होती है तब बेकारी की समस्या पैदा होती है। भारत पर सदियों तक विदेशी शासन के कारण यह समस्या बढ़ती गयी है।

विषय विश्लेषण :
शिक्षित व्यक्ति बेकारी में नाम लिख पाता है। उसे काम नहीं मिलता तो मन को बडा दुख होता है। उसे विरक्त होकर आत्महत्या करलेने का निर्णय लेने की नौबत आती है। काम-दिखाऊ कार्यालय में नाम लिखाने के बाद भी उसको कभी कोई रास्ता नहीं मिल रहा है। इस कारण बेकारी की समस्या बढती चा रही है।

समस्याएँ :
अंग्रेज़ी शिक्षाप्रणाली में पढकर निकलनेवालों को नौकरी नहीं मिलती तो बेकार रह जाते हैं। शिक्षितों के लिए नौकरी के सिवा कोई दूसरा काम न आने के कारण ही यह बेकारी बढ़ती जाती है। इस प्रकार हम जान सकते हैं कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली और बेकारी के बीच गहरा संबंध है। ग्रामीण भी किसी कला-कुशलता के अभाव में नौकरी के लिए दौडने लगते हैं। इस तरह बेकारी बढ़ रही है और दूसरी ओर खेतों में काम करनेवालों की संख्या भी कम हो रही है। वैज्ञानिक प्रगति और मशीनों के प्रयोग की वृद्धि ने भी इस समस्या को बढादिया है। इन कारणों से अमीर करोडपति और सामान्य लोग गरीब बन रहे हैं।

कर्तव्य :
सरकार को कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देकर बेकारी को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। कृषि कार्य में स्पर्धा उत्पन्न करनी चाहिए। शिक्षा प्रणाली में सरलता, व्यावहारिकता और आध्यात्मिकता को स्थान देना चाहिए।

उपसंहार :
सरकार का कर्तव्य है कि ऊपर के सभी उपायों को काम में लायेंगे तो बेकारी की समस्या हल हो सकती है। समाज में सुख-शांति बढ़ सकती हैं।



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