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Answer» भूमिका : रक्त का अर्थ है खून या लहू। दान का अर्थ है दूसरों को देना। इसलिए रक्तदान का अर्थ हुआ खून को देना। दान कई तरह के होते हैं – जैसे अन्नदान, कन्यादान, श्रमदान, नेत्रदान आदि। इनमें रक्तदान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कारण यह है कि दिये हुए रक्त से एक घायल या रक्तहीन बीमार व्यक्ति को नया जीवन मिलता है। रक्तहीन आदमी का जीवन भाररूप होता है। इसलिए हम रक्तदान को सर्वश्रेष्ठ दान मानते हैं। रक्तदान की आवश्यकता : रक्तदान का महान उद्देश्य रक्तहीन आदमी को रक्त देकर उसे जिलाना है। आदमी को रक्त की ज़रूरत तब होती है जब वह किसी दुर्घटना में घायल होता है या उसे रक्तहीनता की बीमारी हो, जिसे ‘एनीमिया’ कहते हैं। रक्तदान की प्रक्रिया : रक्त देने का इच्छुक (Blood Donor) पहले किसी ‘रक्त बैंक में जाकर एक आवेदन – पत्र भरता है। उसमें यह अपने रक्त के वर्ग के बारे में बताता है और अपने परिवार का पूरा इतिहास भी देता है। यदि रक्त देनेवाला किसी रोग का रोगी हो या उसके परिवार में कोई भयंकर रोगी हो तो उसका रक्त नहीं लिया जाता। आजकल एइड्स (AIDS) की जाँच भी करते हैं। इन सभी जाँचों के बाद रक्त बैंकवाले उसे एक निश्चित तारीख पर उपस्थित होने को कहते हैं। रक्तदान की प्रेरणा : रक्तदान की आवश्यकता पर समाचार-पत्र, आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि माध्यमों के द्वारा खूब प्रचार किया जाता है। आजकल स्कूल-कॉलेज के युवक-युवतियाँ, लायन्स क्लब के सदस्य और राजनैतिक दलों के सदस्य रक्तदान के लिए “कैंपों” का संगठन करते हैं। इनमें हज़ारों की संख्या में लोग रक्तदान करते हैं। उपसंहार : रक्तदान सभी दानों में श्रेष्ठ है। रक्त दान न करने वाला आदमी देश के लिए भारस्वरूप होता है। उसका जीना और मरना दोनों बराबर है। इसलिए हम हज़ारों की संख्या में रक्तदान करें और ज़रूरत मंद रोगियों को मरण से बचायें।
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