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निबंध लेखन :संक्रांति (पोंगल)

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प्रस्तावना :
संक्रांति भारत का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। संक्रांति को ही दक्षिण भारत के लोग “पोंगल” कहते हैं। इस त्यौहार का संबंध सूर्य भगवान से है। सूर्य भगवान इस दिन दक्षिणायन से उत्तरायन को चलता है। इस कारण इसको ‘उत्तरायन’ भी कहते हैं। यह त्यौहार हर साल जनवरी 13, 14, तारीखों में आता है।

विषय :
सूर्य भगवान की कृपा से खूब फसलें होती हैं। इसलिए कृतज्ञ किसान नयी फसल से सूर्य भगवान को पोंगल बनाकर पोंगल के दिन भेंट चढ़ाते हैं। बन्धु मित्रों से मिलकर खुशी मनाते हैं।

यह त्यौहार तीन दिन मनाया जाता है। पहले दिन को भोगी कहते हैं। दूसरे दिन को संक्रांति मनाते हैं और तीसरे दिन को कनुमा कहते हैं। त्यौहार के सिलसिले में सभी रिश्तेदार अपने घर आते हैं। सिर स्नान करके नये कपडे पहनते हैं। तरह – तरह के पकवान बनाकर खाते हैं। मिष्ठान्न खाते हैं। आंध्र के लोगों के विशेष पकवान जैसे हल्दी भात, दही भात, बोब्बट्लू, आवडा आदि बनाते और खाते हैं।

इस त्यौहार की तैयारी एक महीने के पहले से ही होती है। घर और मकान साफ़ किये जाते हैं। दीवार पर चूना पोता जाता है।

उपसंहार :
त्यौहार के समय किसान लोग बैलों की, गायों की पूजा करते हैं। गाँव – गाँव में कोलाहल मच जाता है। मुर्गों की होड, भेडों की भिडाई आदि होते हैं। सब लोग आनंद – प्रमोद के साथ त्यौहार मनाते हैं। इसे ‘पेद्द पंडुगा” भी कहते हैं। आंध्रा के लोगों के लिए यह एक खास त्यौहार है।



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