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निबंध लेखन :स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता की ज़रूरत है

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क) भूमिका :
मैं एक दिन टहलने निकला था, मैंने देखा कि एक सज्जन रास्ते पर पान थूक रहे थे। एक अन्य सज्जन ने अपनी आधी सिगरेट बुझाकर रास्ते पर फेंक दी थी। कुछ ऐसे लोग भी देखे जो भेल, चाट, चुडवा, आदि खाकर जूठे दाने और गंदे कागज़ इधर-उधर फेंक रहे थे। इससे मुझे काफ़ी खेद हुआ, और मेरा मन भी काफ़ी दुखी हुआ। मैं सोचने लगा कि लोगों की यह आदत पता नहीं कब जायेगी।

ख) सफ़ाई का महत्व :
हमारा अनुभव है कि, अपने कपडे साफ़ हो और शरीर स्वच्छ हो तो मन अत्यंत प्रसन्न रहता है। स्वच्छता से ही पवित्रता रखी जा सकती है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को यथा संभव हर जगह स्वच्छता रखनी चाहिए। इससे हमारा स्वास्थ्य बना रहता है। घर का कचरा और सडकों तथा गलियों की गंदगी देखकर मन खराब हो जाता है। साफ़ मकान में रहने और साफ़ – सुथरी सडकों पर चलने से हमारा स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और मन भी प्रफुल्लित रहता है। सचमुच स्वच्छता से ही जीवन सुखी बन सकता है।

ग) सार्वजनिक स्थलों की सफाई :
प्रायः घर का कचरा बाहर फेंककर लोग निश्चिन्त हो जाते हैं। यह बहुत अनुचित बात है। सडक बगीचे समुद्र तट, प्राणी – संग्रहालय, रेलवे स्टेशन आदि प्रत्येक सार्वजनिक स्थल पर स्वच्छता रखना अनिवार्य है। इससे जल और वायु दोनों प्रदूषित नहीं होते हैं। अपने गाँव और शहर को स्वच्छ रखने में हर व्यक्ति को अपना सहयोग देना चाहिए।

घ) उपसंहार :
इधर- उधर कचरा फेंकने वाले लोग भले नागरिक नहीं कहे जा सकते। कचरा फेंकने के लिए जगह-जगह पर डिब्बे रखे जायें तो लोग डिब्बों में ही कचरा फेंकने की आदत डालेंगे। सफ़ाई का जितना महत्व है, उतनी ही सफ़ाई रखने के तरीकों की शिक्षा भी ज़रूरी है। बच्चों को बचपन से ही सफ़ाई के पाठ सिखाने चाहिए। इससे पानी से, वायु से फैलने वाली बीमारियाँ नहीं फैलेंगी।



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