InterviewSolution
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                                    निम्नांकित गद्यांशों में रेखांकित अंशों की सन्दर्भ सहित व्याख्या और तथ्यपरक प्रश्नों के उत्तर दीजियेचड्रा – रात को मैंने नहीं पहचाना, पर जरा साफ हो जाने पर पहचान गया। एक बार यह एक मरीज को लेकर आया था। मुझे अब याद आता है कि मैं खेलने जा रहा था और मरीज को देखने से इनकार कर दिया था। आज उस दिन की बात याद करके मुझे जितनी ग्लानि हो रही है, उसे प्रकट नहीं कर सकता। मैं उसे खोज निकालूंगा और पैरों पर गिरकर अपना अपराध क्षमा कराऊँगा । वह कुछ लेगा नहीं, यह जानता हूँ, उसका जन्म यश की वर्षा करने ही के लिए हुआ है। उसकी सज्जनता ने मुझे ऐसा आदर्श दिखा दिया है, जो अबे से जीवन-पर्यन्त मेरे सामने रहेगा।(1) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए।(2) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(3) ग्लानि किसको हो रही थी?(4) डॉ० चड्ढा किस आदर्श पर जीवन भर चलने का संकल्प लेते हैं?(5) प्रस्तुत पंक्तियों में भगत की किस-चारित्रिक विशेषता का पता चलता है? | 
                            
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Answer»  1.सन्दर्भ- यह गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ में संकलित एवं मुंशी प्रेमचन्द जी द्वारा लिखित ‘मन्त्र’ नामक पाठ से लिया गया है। इसमें उन्होंने यह बताया है कि मनुष्य को अपनी गल्तियों का अनुभव तब होता है, जब उसके प्रायश्चित्त का समय निकल जाता है। अपने ऊपर उसी प्रकार की विपत्ति के आने से मनुष्य की आँखें खुल जाती हैं। 2.रेखांकित अंशों की व्याख्या- बूढ़े के मन्त्र-तन्त्र के उपचार से कैलाश ठीक हो जाता है। डॉक्टर चड़ा उस बूढ़े को पहचानने का प्रयास करते हैं और अन्तत: उन्हें उस घटना का स्मरण हो आता है, जब वे गोल्फ खेलने के लिए जा रहे थे और वह बूढ़ा अपने इकलौते पुत्र को मृतप्राय अवस्था में उनके पास लेकर आया था, लेकिन वह उसको देखे बिना गोल्फ खेलने के लिए चले गये थे। आज बूढ़े द्वारा अपने ऊपर किये गये उपकार के कारण उन्हें अपने उस दिन के व्यवहार पर अपार दु:ख हो रहा है। वह आज अपने उस अमानवीय व्यवहार का प्रायश्चित्त करना चाहते हैं। अपनी पत्नी नारायणी से वे कह रहे हैं कि यद्यपि मैं जानता हूँ कि वह बूढ़ा कुछ लेगा नहीं तथापि मैं उसे अवश्य खोजेंगा, वह अवश्य ही मेरे अपराध को क्षमा कर देगा। इस संसार में कुछ लोग दूसरों की भलाई के लिए ही जन्म लेते हैं, अपने लिये नहीं। वह बूढ़ा भी उन लोगों में से ही एक व्यक्ति था। लगता है कि भगवान् ने उसको यश की वर्षा करने के लिए ही जन्म दिया है। अपने नि:स्वार्थ सेवा-भावना से उसने मुझे सज्जनता का ऐसा आदर्श दिखा दिया है, जिसे मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक याद रखेंगा।। 3.ग्लानि डॉक्टर चड्डी को हो रही थी। 4.डॉ० चड्ढा भगत द्वारा दिखाये सज्जनता के आदर्श पर जीवन भर चलने का संकल्प लेते हैं। 5.इन पंक्तियों में भगत की चारित्रिक विशेषता उसकी सज्जनता है। उसका जन्म यश की वर्षा करने ही के लिए हुआ था।  | 
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