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Answer» उत्तर : इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
इस पंक्ति से लेखक का आशय उस व्यक्ति की सोच को व्यक्त करता है जो पुत्र की मृत्यु के अगले ही दिन खरबूजे बेचने आई बुढ़िया के संबंध में यह वाक्य कहता है। उस व्यक्ति के विचार में इन निम्न वर्ग के लोगों को किसी के मरने का दुख नहीं होता। यह किसी भी संबंध को नहीं मानते इन के लिए पुत्र पुत्री ,पति पत्नी तथा धर्म ईमान का कोई मूल्य नहीं होता। यह लोग केवल रोटी के महत्व को ही जानते हैं उसी के लिए जीते हैं। इनका सबकुछ रोटी का टुकड़ा ही है ।इसलिए यह बुढ़िया बेटे के मरने के 1 दिन बाद ही खरबूजे बेचने आ गई है
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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