1.

निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है? * अ) मूल कर्त्तव्य संविधान के भाग ४ में दिए गए है ब) 42वें संविधान संशोधन के बाद मूल कर्त्तव्य संविधान से जोड़े गए हैं स) 2002 में 82वें संविधान संशोधन अधिनियम के बाद एक और मूल कर्त्तव्य को जोड़ा गया था द) चुनाव में मत डालना एक कर्तव्य है

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EXPLANATION:

कर्तव्य की अवधारणा

ध्यातव्य है कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जहाँ प्राचीन काल से लोकतंत्र की गौरवशाली परंपरा मौजूद थी। प्रख्यात इतिहासकार के. पी. जायसवाल के अनुसार प्राचीन भारत में गणतंत्र की अवधारणा रोमन या ग्रीक गणतंत्र प्रणाली से भी पुरानी है।

इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि इसी प्राचीन अवधारणा में भारतीय लोकतंत्र के मौजूदा स्वरूप की कहानी छिपी हुई है।

प्राचीन काल से ही भारत में कर्तव्यों के निर्वहन की परंपरा रही है और और व्यक्ति के “कर्तव्यों” (KARTAVYA) पर ज़ोर दिया जाता रहा है।

भगवद्गीता और रामायण भी लोगों को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिये प्रेरित करती है, जैसाकि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि व्यक्ति को "फल की अपेक्षा के बिना अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिये।"

गांधी जी का विचार था कि “हमारे अधिकारों का सही स्रोत हमारे कर्तव्य होते हैं और यदि हम अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वाह करेंगे तो हमें अधिकार मांगने की आवश्यकता नहीं होगी।”



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