1.

निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए-(अ) परसों को बिताय दियो बरसों तरसों कब पांय पिया परसों।(ब) पिय प्यारे तिहारे निहारे बिना, अँखियाँ दुखियाँ नहीं मानती हैं।(स) बोलै लगे दादुर मयूर लगे नाचै फेरि ।       देखि के संजोगी जन हिय हरसै लगे।

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() काव्य-सौन्दर्य

  1. यहाँ पर कवि ने बसंत ऋतु के आगमन का सुन्दर वर्णन करते हुए गोपियों की विरह अवस्था का मर्मस्पर्शी चित्रण किया है। प्रकृति के उद्दीपन रूप का सजीव चित्रण है।
  2. अलंकारअन्त्यानुप्रास, वृत्त्यनुप्रास।
  3. रसविप्रलम्भ श्रृंगार।
  4. भाषासाहित्यिक ब्रजभाषा।
  5. शैली- भावात्मक।
  6. छन्दसवैया।
  7. गुणमाधुर्य ।

() काव्य-सौन्दर्य

  1. यहाँ गोपियों की श्रीकृष्ण दर्शन की तीव्र लालसा का सुन्दर चित्रण है।
  2. अलंकारअनुप्रास
  3. रसवियोग श्रृंगार ।
  4. भाषासाहित्यिक ब्रजभाषा।
  5. गुणमाधुर्य ।
  6. शैलीभावात्मक।
  7. छन्दसवैया।

() काव्य-सौन्दर्य

  1. वर्षा ऋतु विरही जन के लिए दु:खद होती है। यह उद्दीपन का कार्य करती है। तुलसी ने भी कहा है

“घन घमण्ड नभ, गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा।”



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