1.

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।

Answer»

उत्तर :
इस पाठ का शीर्षक ‘दुख का अधिकार ‘ पूरी तरह से ठीक है। लेखक ने बताया है कि दुख सभी को दुखी करता है, चाहे वह गरीब हो या अमीर। लेखक के पड़ोस के संभ्रांत महिला पुत्र शोक से दुखी होकर अढांई मास तक पलंग से ही उठ नहीं पाई थी । वह हमेशा रोती रहती थी या बेहोश पड़ जाती थी। उसका इलाज करने के लिए दो-दो डॉक्टर थे। सारा शहर उसके पुत्र की मृत्यु से दुखी था । इसके विपरीत गरीब बुढ़िया अपने पुत्र की मृत्यु के अगले ही दिन बाजार में खरबूजे बेचने के लिए मजबूर थी और चाहा कर भी उसके मरने का दुख नहीं मना सकती थी क्योंकि उसे अपने भूखे पोता पोती का पेट भरना था और बीमार बहू के लिए दवा का इंतजाम करना था । इस प्रकार वह इतनी अभागी थी कि उसे अपने मरे हुए पुत्र का का दुख बनाने का भी अधिकार नहीं था।

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।



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