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Answer» उत्तर : रामन् केवल व्यक्तिगत प्रयोग एवं वैज्ञानिक शोध पत्र लिखने तक ही सीमित नहीं थे। उन्हें अपने भारतीय होने पर भी बहुत गर्व था। उनमें निहित राष्ट्रीय चेतना ने उन्हें देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास की प्रेरणा दी । उन्हें याद था कि किस प्रकार थोड़े से उपकरणों से वे बहू बाज़ार की प्रयोगशाला में वैज्ञानिक शोध में लगे रहे थे । इसलिए रामन् ने एक बहुत उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान ‘रामन् इंस्टिट्यूट’ के नाम से बेंगलुरु में स्थापित की। उन्होंने भौतिक शास्त्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ निकाला तथा ‘करेंट साइंस’ नामक एक पत्रिका का संपादन किया। उन्होंने कई शोधार्थियों का मार्गदर्शन भी किया था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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