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Answer» उत्तर : ‘बुद्धि की मार’ से लेखक का यह आशय है कि एक साधारण व्यक्ति को धर्म के तत्वों का वास्तविक ज्ञान नहीं होता है। वह उससे अनभिज्ञ होता है । वह तो अपने धर्माचार्यों द्वारा बताए हुए नियमों तथा परंपराओं के अनुसार व्यवहार करता रहता है। कुछ स्वार्थी तथा चालाक धर्माचार्य लोग अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए ऐसे आम लोगों को दूसरे धर्म वालों के खिलाफ इस प्रकार भड़का देते हैं कि वे बिना सोचे समझे धर्म के नाम पर मरने मारने के लिए तैयार हो जाते हैं। इस प्रकार उनकी बुद्धि पर पर्दा पड़ जाता है और वे उत्पात और दंगे मचाना शुरू कर देते हैं। इसी को ‘बुद्धि की मार’ कहा गया है। इस अवस्था में सोचने समझने की सारी शक्ति खत्म हो जाती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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