1.

निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दीजिए - (a) क्या किसी AC परिपथ में प्रयुक्त तात्क्षणिक वोल्टता परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़े गए अवयवों के सिरों पर तात्क्षणिक वोल्टताओं के बीजगणितीय योग के बराबर होता है क्या यही बात rms वोल्टताओं में भी लागू होती है (b) प्रेरण कुण्डली के प्राथमिक परिपथ में एक संधारित का उपयोग करते है | (c) एक प्रयुक्त वोल्टता संकेत एक DC वोल्टता तथा उछक आवृत्ति के एक AC वोल्टता के अध्यारोपण से निर्मित है परिपथ एक श्रेणीबद्ध प्रेरक तथा संधारित्र से निर्मित है दर्शाइए कि DC संकेत C तथा AC संकेत सिरे पर प्रकट होगा । (d) एक लैम्प से श्रेणीक्रम में जुडी चौक को एक dc लाइन से जोड़ा गया है लैम्प तेजी से चमकता है चोक में लोहे के क्रोड को कराने पर लैम्प की दीप्ति में कोई अंतर नहीं पड़ता है यदि एक ac लाइन से लैम्प का संयोजन किया जाए तो तदनुसार प्रेक्षणों की प्रागुक्ति कीजिए (d) AC मेंस के साथ कार्य करने वाली फ्लोरोसेंट ट्यूब में प्रयुक्त कुण्डली की आवश्यकता क्यों होती है ? चोक कुण्डली के स्थान पर सामान्य प्रतिरोधक का उपयोग क्यों नहीं होता है ?

Answer» (a) हाँ लेकिन यह `V_(rms)` के लिए सत्य नहीं है क्योकि विभिन्न अवयवों के सिरों पर विभव समान कला में नहीं होंगे ।
(b) जब प्रेरण कुण्डली का प्राथमिक परिपथ टूटता हो तब एक उच्च विभव प्रेरित होता है जो संधारित्र को आवेशित करने में प्रयुक्त होता है जिससे परिपथ में चमक उत्पन्न नहीं होती ।
(c) प्रेरण प्रतिघात `X_(L)=omegaL=2pivL`
संधारित्र प्रतिघात `X_(C)=(1)/(omegaC)=(1)/(2pivC)`
दिष्ट धारा के लिए v=0 अतः `X_(L)=0` तथा `X_(C)=oo`.
अतः C के सिरों पर DC संकेत प्रकट होंगे |
उच्च आवृत्ति के लिए `X_(L)to` उच्च, `X_(C)to0` अतः संकेत A.C. (सिग्नल) प्रेरकत्व के सिरों पर प्रकट होंगे |
(d) DC के लिए `X_(L)=0` अर्थात लोहे के क्रोड को प्रवेश से कराने से L पर कोई प्रभाव नहीं पडेगा । लेकिन A.C. लाइन के लैम्प का संयोजन करने पर लैम्प का प्रकाश धीमा हो जाएगा | क्योकि चोक की प्रतिबाधा में वृद्धि हो जायेगी और जैसे - जैसे प्रतिबाधा के मान में होगी लैम्प धीमा होता जायेगा ।


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