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निम्नलिखित विषयों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:संविधान की प्रस्तावना

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भारत का संविधान प्रस्तावना से शुरू होता है ।

  • यद्यपि कानून द्वारा प्रस्तावना का अमल नहीं कराया जा सकता, तथापि प्रस्तावना का बहुत महत्त्व है ।
  • प्रस्तावना में प्रजा के आदर्श, उद्देश्य और महान भावनाओं की भव्य घोषणा की गई है ।
  • उसमें संविधान के मूलभूत सिद्धान्तों और आदर्शों का दर्शन होता है ।
  • संविधान के अर्थघटन के लिए प्रस्तावना मार्गदर्शक सिद्ध होती है ।
  • कोई भी संविधान सम्पूर्ण नहीं हो सकता, इसलिए संविधान के किसी भी मुद्दे का अर्थ अस्पष्ट प्रतीत हो, तब उचित अर्थघटन करने के लिए प्रस्तावना बहुत उपयोगी सिद्ध होती है । प्रस्तावना में संविधान के उद्देश्यों और आदर्शों को स्पष्ट किया गया है । प्रस्तावना संविधान के निर्माताओं के चिंतन का या उद्देश्यों का परिचय देती है । अर्थात् प्रस्तावना संविधान को समझने की कुंजी है ।
  • हमारे संविधान की प्रस्तावना में प्रथम परिवर्तन 1976 में कर ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिर्पेक्ष’, ‘एकता और राष्ट्र की अखण्डता’ जैसे शब्द जोड़े गए ।


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