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निरक्षरता एक कलंक पर निबंध लिखिए : |
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Answer» स्वतत्रता प्राप्ति के पैंसठ साल गुजर जाने के बाद भी भारत में करोड़ों की संख्या में ऐसे भारतीय मिल जायेंगे जिनके लिए काला अक्षर भैंस बराबर है। निरक्षरता बहुत बड़ा अभिशाप है। निरक्षरता के कारण जब तक प्रजा अपने प्रतिनिधि को चुनने में गलती करती है तथा मत का महत्व नहीं समझती, तब तक लोकतंत्र की मूल आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है। निरक्षरता के कारण भोले ग्रामीण लोग निरंतर ठगे जाते हैं। ऐसे लोगों को लोकतंत्र क्या लाभ पहुंचा सकता है? साक्षरता आन्दोलन : शिक्षा के प्रति निरक्षरों का ध्यान आकर्षित करने के लिए साक्षरता आन्दोलन का सूत्रपात हुआ था। ‘अंगूठा लगाना पाप है’ तथा ‘अशिक्षा का नाश हो’ जैसे नारे गाँव – गाँव में गूंजने लगे है। साक्षरता आन्दोलन के अन्तर्गत रात्रि पाठशालाएँ खोली गयी है तथा प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों एवं रात्रि पाठशालाओं में निःशुल्क शिक्षा देकर अनपढ़ प्रौढ़ों को साक्षर बनाने का कार्य हुआ है। निरक्षरता की स्थिति : वर्तमान में भारत में 15 वर्ष से 35 वर्ष की श्रेणी में आने वाले लगभग 10 करोड़ व्यक्ति निरक्षर है। यह लोग अपना नाम लिखने और पढ़ने में भी असमर्थ है। यह आँकड़ा विचारणीय ही नहीं हमारे लिए लज्जा का भी विषय होना चाहिए। हम एक सफल और विशाल लोकतंत्र में रहने पर गर्व करते हैं। परन्तु निरक्षरता के आधार पर स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती। निरक्षरता की समस्या को देश की सांस्कृतिक समस्या समझा जाये और इसको हमारी परंपरा और संस्कृति की विरासत के साथ जोड़ा जाना चाहिए। तात्पर्य यह कि साक्षरता अभियान को मिशनरी भावना से चलाया जाना चाहिए। निरक्षरता रूपी कलंक को दूर करने के सरकारी प्रयासों के बावजूद भी इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। जन जन तक शिक्षा को पहुँचाने के लिए एवं निरक्षरता को मिटाने के लिए हमारा मूलमंत्र होना चाहिये – |
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