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Answer» ओजोन ऑक्सीजन तत्त्व का ही एक रूप है। समतापमण्डल में सूर्य की पराबैंगनी किरणें वायुमण्डलीय ऑक्सीजन से क्रिया करके ओजोन गैस बनाती हैं। ओजोन गैस का महत्त्व वायुमण्डल में ओजोन गैस की उपस्थिति पर्यावरण के जैविक तत्त्वों के जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक है। सूर्य से आने वाले विकिरण में उपस्थित पराबैंगनी किरणों का 99% से भी अधिक भाग इस गैस के द्वारा वायुमण्डल में प्रवेश के साथ ही अवशोषित कर लिया जाता है। इस अवशोषण से पृथ्वी पर जीवन के विविध रूप, पराबैंगनी किरणों के कई हानिकारक प्रभावों से बच पाते हैं। ओजोन गैस उष्मा उत्पन्न करने वाली लाल अवरक्त किरणों को पृथ्वी तक नहीं पहुँचने देती है जिससे पृथ्वी का तापमान सन्तुलित रहता है। ओजोन गैस के क्षरण के कारण वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा 0.5% प्रतिवर्ष के हिसाब से कम हो रही है तथा अण्टार्कटिका के ऊपर स्थित वायुमण्डल में 20 से 30% तक ओजोन की मात्रा कम हो गयी है। इसके अतिरिक्त, ओजोन की कमी वाले छोटे-छोटे छिद्र ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, चिली, अर्जेण्टीना आदि स्थानों पर देखे गये हैं। ओजोन में हो रही कमी का कारण रासायनिक अभिक्रियाओं को माना जाता है जो ओजोन को ऑक्सीजन में परिवर्तित कर रही हैं। ओजोन गैस में विघटन उत्पन्न करने वाला प्रमुख रसायन क्लोरो-फ्लोरो कार्बन यौगिक है। इस यौगिक का उपयोग शीतलीकरण उद्योग (रेफ्रीजरेटर्स, एयर-कण्डीशनर), अग्निरोधी पदार्थों, प्लास्टिक, रंग और एरोजोल उद्योग में होता है। क्लोरो-फ्लोरो कार्बन से मुक्त हुआ क्लोरीन का एक परमाणु, ओजोन के एक लाख अणुओं को तोड़ने की सामर्थ्य रखता है। इसी तरह धीरे-धीरे ओजोन परत का क्षरण होता है। ओजोन क्षरण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से मनुष्य की त्वचा की ऊपरी सतह की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। फलतः ‘हिस्टेमिन’ नामक रसायन के निकल जाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। फलस्वरूप, ‘मिलिग्रेण्ड’ नामक त्वचा कैंसर, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, अल्सर आदि रोग हो जाते हैं। पराबैंगनी किरणों का प्रभाव आँखों के लिए अत्यन्त घातक होता है। आँखों में सूजन तथा घाव होना तथा मोतियाबिन्द जैसी बिमारियों में वृद्धि का कारण भी इन किरणों का पृथ्वी की सतह पर आना है। ओजोन क्षरण को रोकने के उपाय ओजोन गैस के क्षरण को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए 1. प्रदूषण पर नियन्त्रण– प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार की विषैली गैसें वायुमण्डल में फैलती हैं। जिनका ओजोन परत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 2. CFC गैसों पर नियन्त्रण– फैक्ट्रियों, रसायन उद्योगों आदि से निकलने वाली क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, ओजोन के लिए अत्यन्त हानिकारक हैं। प्रशीतन तथा वातानुकूलित मशीनों द्वारा इन गैसों का विस्तार बढ़ता है। 3. नाइट्रस ऑक्साइड- नाइट्रस ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें जो जेट विमानों द्वारा ऊपरी वायुमण्डल में फैलती हैं, उन्हें नियन्त्रित किया जाना चाहिए। 4. वृक्षारोपण- वृक्षारोपण द्वारा प्रदूषण रोका जा सकता है।
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