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‘सूखा क्या है ? इसके प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।

Answer»

सूखा’ वह स्थिति है जिसमें किसी स्थान पर अपेक्षित तथा सामान्य वर्षा से भी कम वर्षा होती है और यह स्थिति एक लम्बी अवधि तक रहती है। सूखा उस समय भयंकर रूप धारण कर लेता है जब इसके साथ-साथ ताप भी आक्रमण करता है। शुष्क तथा अर्द्ध-शुष्क प्रदेशों में सूखी एक सामान्य समस्या है, किन्तु पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं हैं। मानसूनी वर्षा के क्षेत्र सूखे से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। सूखा एक मौसम सम्बन्धी आपदा है तथा किसी अन्य विपत्ति की अपेक्षा अधिक धीमी गति से आता है।

कारण

वस्तुतः सूखी एक प्राकृतिक आपदा है, परन्तु वर्तमान समय में प्रकृति तथा मानव दोनों ही इसके मूल में हैं। सूखा के प्रमुख कारण निम्नवत् हैं

1. अत्यधिक चराई तथा जंगलों की कटाईअत्यधिक चराई तथा जंगलों की कटाई के कारण हरियाली की पट्टी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इसके परिणामस्वरूप वर्षा कम मात्रा में होती है और यदि होती भी है तो जल भूतल पर तेजी से बह जाता है। इसके कारण मिट्टी का कटाव होता है तथा सतह से नीचे का जल-स्तर कम हो जाता है।

2. ग्लोबल वार्मिंगग्लोबल वार्मिंग वर्षा की प्रवृत्ति में बदलाव का कारण बन जाती है। इसके परिणामस्वरूप वर्षा वाले क्षेत्र सूखाग्रस्त हो जाते हैं।

3. कृषि योग्य समस्त भूमि का उपयोग– बढ़ती हुई आबादी के लिए खाद्य-सामग्री उगाने हेतु लगभग समस्त कृषि योग्य भूमि पर जुताई व खेती की जाने लगी है। इसके परिणामस्वरूप मृदा की उर्वरा-शक्ति क्षीण होती जा रही है तथा वह रेगिस्तान में परिवर्तित होती जा रही है। ऐसी स्थिति में वर्षा की थोड़ी कमी भी सूखे का कारण बन जाती है।

4. वर्षा का असमान वितरणदेश में वर्षा का असमान वितरण दोनों ही तरीके से व्याप्त है। विभिन्न स्थानों पर न तो वर्षा की मात्रा समान है और न ही अवधि। हमारे देश में कुल जोती जाने वाली भूमि का लगभग 70% भाग सूखा सम्भावित क्षेत्र है। इस क्षेत्र में यदि कुछ वर्षों तक लगातार वर्षा न हो तो सूखे की अत्यन्त दयनीय स्थिति पैदा हो जाती है।

5. जलचक्रवर्षा जलचक्र के नियमित संचरण, प्रवाह एवं प्रक्रिया का परिणाम है, किन्तु जब कभी जलचक्र में अवरोध उत्पन्न हो जाता है तो वर्षा के अभाव के कारण सूखे की स्थिति आ जाती है। आधुनिक विकास ने जलचक्र की प्राकृतिक प्रक्रिया की कड़ियों को तोड़ दिया है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है।

6. भूमिगत जल का अधिक दोहन- भूमिगत जलस्रोतों के अत्यधिक दोहन के कारण भी देश के कई प्रदेशों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है। यद्यपि सूखे का कारण वर्षा की कमी को माना जाता है। किन्तु मात्र वर्षा कम होने या न होने से ही सूखा नहीं होता। जब भूमिगत जल निकासी की दर भूमि में जाने वाले जल की दर से अधिक हो जाती है तो वर्षा न होने की स्थिति में सूखा पड़ जाता है।

7. नदी मार्गों में परिवर्तन- सततवाहिनी नदियाँ केवल सतही जल का बहाव मात्र नहीं होतीं अपितु ये नदियाँ भूमिगत जलस्रोतों को भी जल प्रदान करती हैं। नदी का मार्ग बदल जाने पर निकटवर्ती भूमिगत जलस्रोत सूखने लगते हैं।

8. खनन कार्य- देश के अनेक भागों में अवैज्ञानिक ढंग से किया गया खनन कार्य भी सूखा संकट का . प्रभावी कारण होता है। हिमालय की तराई एवं दून घाटी के क्षेत्रों में, जहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 250 सेमी से अधिक रहती है, अनियोजित खनन कार्यों के कारण अनेक प्राकृतिक जलस्रोत सूख गये

9. मिट्टी का संगठन– मिट्टी जैविक संगठन द्वारा बना प्रकृति का महत्त्वपूर्ण पदार्थ है, जो स्वयं जल एवं नमी का भण्डार होता है। वर्तमान समय में मिट्टी का संगठन असन्तुलित हो गया है, इसलिए मिट्टी की जलधारण क्षमता अत्यन्त कम हो गयी है। जैविक पदार्थ (वनस्पति आदि) मिट्टी की जलधारण क्षमता में वृद्धि करते हैं। वर्तमान समय में भूमि-क्षरण के कारण मिट्टी का वनस्पतीय आवरण कम हो गया है। इसलिए जलधारण क्षमता के अभाव के कारण सूखे का सामना अधिक करना पड़ता है।



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