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| 1. | पाठ्यपुस्तक में संकलित दोहों के आधार पर कवि बिहारी के शृंगार-वर्णन की विशेषताओं का परिचय दीजिए। | 
| Answer» संकलित दोहों में से अधिकांश, बिहारी लाल के श्रृंगार रस वर्णन का परिचय कराते हैं। शृंगाररस रीतिकालीन कवियों का सर्वाधिक प्रिय विषय रहा है। कवि बिहारीलाल भी श्रृंगार रस वर्ण में पारंगत है। श्रृंगार रस के सभी प्रमुख अंग संकलित दोहों में विद्यमान हैं। रूप वर्णन, प्रेम प्रदर्शन, संयोग को आनंद, वियोग की वेदना, अनुभाव योजना, प्रेम की सरस खिलवाड़ आदि शृंगार की सारी सामग्री इन दोहों में उपस्थित है। नायक – नायिका के रूप-सौंदर्य वर्णन के प्रसंग में कवि ने अलंकारों और चमत्कार पूर्ण कथनों का पूरा सहयोग लिया है। श्रीकृष्ण के पीताम्बर-सुशोभित श्याम शरीर को कवि ने नीलमणि पर प्रात:काल की धूप बताया है। (सोहत ओढ़े…………….पर्यो प्रभात ।।) राधा या नायिकाओं के सौन्दर्य वर्णन में कवि की विशेष रुचि है। राधा के शरीर की झलक मात्र का कमाल कवि दिखाता है। ‘झीने पट’ से झाँकती नायिका के शरीर की भक्ति का वर्णन, बिंदी लगाने पर नायिका की सुंदरता का अगणित गुना निखार कनक के आभूषणों का नायिका के कनकवर्ण शरीर से एक रूप हो जाना, दीपशिखा सी देह वाली नायिका का घर दिया बुझा देने पर भी प्रकाश से जगमगाना आदि रूप वर्णन की विशेषताओं से युक्त है। रूप वर्णन में कवि ने अतिशयोक्ति का भरपूर प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त मुरली छिपाने में प्रेम भरी खिलवाड़, “कहत नटत, रीझन खिझत” में अनुभाव सौन्दर्य, “कहिहै सब तेरौ हियौ’ में विरह वेदना आदि का हृदय स्पर्शी चित्रण है। इस प्रकार संकलित दोहे कवि बिहारी के श्रृंगार वर्णन की सभी प्रमुख विशेषताओं से परिचित कराते हैं। | |