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Paragraph on "Vasudev Kutumbkam" in hindi

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इस प्रकार, 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का अर्थ हुआ-पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है और इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी मनुष्य और जीव-जन्तु एक ही परिवार का हिस्सा हैं। ... मूलत: वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा की संकल्पना भारतवर्ष के प्राचीन ऋषिमुनियों द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य था – पृथ्वी पर मानवता का विकास। वसुधैव कुटूम्बकम का अर्थ है जहां हमारी पूरी पृथ्वी को एक परिवार के रूप में बांध देता है| संस्कृत भाषा यह हमारे प्राचीन भारत की साहित्यिक रूप से संस्कृतियों में सर्वश्रेष्ठ और समृद्ध संस्कृत है|

भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता का देश है| संस्कृत भाषा से ही एक महान विचार की उत्पत्ति हुई है| यहाँ हमारी पूरी पृथ्वी पर रहने वाले सभी मनुष्य तथा जीव-जंतु एक ही परिवार का हिस्सा हैं| भारतीय संस्कृत के महत्वपूर्ण तत्व शिष्टाचार, तहजीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ आदि हैं|

हमारे भारतीय संस्कृत का अर्थ है| जहां एक और पूरी वसुधा तथा हमारी पृथ्वी को परिवार के रूप में बांध देता है| सर्वांगीण विकास, सबका विकास तथा हमारे भारतीय संस्कृत की आत्मा छुआछुत को नहीं मानती है| और नही हिन्दू मुस्लमान के भेद-भाव को जानती है| भगवान ने हम मनुष्यों का निर्माण किया है

इतिहास गवाह है कि हमारे भारत के महान विचारकों एवं सम्राटो ने पुरे विश्व के कल्याण के लिए हमेशा प्रयास किये हैं| जैसे चक्रवर्ती सम्राट अशोक को जब युद्ध की बुराइयों ज्ञान प्राप्त हुआ तब उन्होंने आत्म शांति के लिए युद्ध से घबराकर बौद्ध धर्म को अपनाया था | हमारे महान भारतीय संस्कार के स्तंभ का उदार विस्तृत चरित्र ही हैं|

जिसने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को दर्शाया है | बौद्ध धर्म का यह संदेश भारत में नहीं बल्कि भारत के बाहर भी स्वंय अपने बच्चों को दूत के रूप में समर्पित कर प्रचार प्रसार किया, इतिहास गवाह है कि भारतियों ने सदैव सभी देशों की संस्कृतियों का, भाषा का, धर्म का आदर किया |

हम सभी जानते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और समाज की सबसे प्रथम कड़ी होता है परिवार जो विभिन्न रिश्ते-नातो के कारण भावनात्मक रूप से एक-दुसरे से जुड़े रहते हैं वे एक-दुसरे के दुःख-सुख के साथी होते हैं मनुष्य जाति इस धरती पर उच्चतम विकास करने वाली जाति है | बौद्धिक रूप से वह सभी जीवों से श्रेष्ठ है |



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