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‘पद्माकर’ की ‘गंगा लहरी’ की विशेषताएँ लिखिए।

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पद्माकर की ‘गंगा लहरी’ ब्रजभाषा में लिखित काव्य है। भाषा अनुप्रासमय तथा चित्रात्मक है। पदावली अत्यन्त मधुर है। यह पद्माकर की अन्तिम अवस्था में रचा गया काव्य है। वैराग्य तथा भक्ति भावना से ओतप्रोत रचना है। कवि ने गंगा की पतितों का उद्धार करने की अनुपम शक्ति का वर्णन किया है तथा गंगा माता की स्तुति की गई है।



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