1.

पद्यांशों की सन्दर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्याएँ।यों रहीम जस होत है, उपकारी के संग।बाँटन वारे के लगै, ज्यों मेंहदी को रंग।।बिगरी बात बनै नहीं, लाख करै किन कोय।रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।

Answer»

कठिन शब्दार्थ – यों = इस प्रकार। जस = यश, प्रशंसा। बाँटन वारे = पीसने वाला। मेंहदी = एक पेड़, जिसकी पत्तियाँ पीसकर हाथों पर रचाई जाती हैं। बिगरी = बिगड़ी, खराब हुई। बनै = सुधरना। लाख करै = लाखों प्रयत्न करना। फाटे = फटे हुए। माखन = मक्खन।

सन्दर्भ एवं प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘दोहे’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कविवर रहीम हैं। प्रथम दोहे में कवि ने बताया है कि सज्जनों का साथ अच्छा होता है तथा सज्जनों के साथ रहने वाले को इसका लाभ बिना प्रयास के ही मिल जाता है। द्वितीय दोहे में कवि ने अपनी बात की रक्षा का संदेश दिया है तथा बताया है कि बात बिगड़ने के बाद लाखों प्रयत्न करके भी उसको सुधारा नहीं जा सकता।

व्याख्या – कवि कहता है कि परोपकार करने वालों के साथ रहना सदा लाभदायक होता है। साथ रहने वाले को इसका लाभ अनायास प्राप्त होता है। उसको संसार में प्रशंसा का पात्र समझा जाता है। जिस प्रकार पत्थर पर मेंहदी की पत्तियों को पीसने वाले के हाथ मेंहदी के रंग से बिना रचाएं ही लाल हो जाते हैं उसी प्रकार परोपकारी का साथी भी बिना कुछ करे प्रशंसनीय हो जाता है। – कविवर रहीम लोगों को सावधान करना चाहते हैं कि उनको अपने कार्यों के प्रति सजग रहना चाहिए। यदि असावधानीवश एक बार कोई काम बिगड़ जाता है तो लाखों प्रयत्न करने पर भी उसमें सुधार नहीं हो पाता। यदि दूध फट जाता है तो कोई उसको कितनी ही देर तक बिलोए उससे मक्खन नहीं निकलता।

विशेष –

  1. प्रस्तुत दोहों में कवि ने नीति से सम्बन्धित बातें बतलाई हैं।
  2. कवि ने बताया है कि परोपकारी पुरुष का साथ करना चाहिए क्योंकि उसका लाभ निष्प्रयास मिलता है।
  3. हमें अपना काम सतर्क रहकर करना चाहिए। खराब होने पर अपने किए हुए कार्य का फल प्राप्त नहीं होता।
  4. इन पद्यांशों में सरस एवं मधुर ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।
  5. कवि ने दोहा छन्द में रचना प्रस्तुत की है।
  6. ‘बिगरी……..बनै’ में अनुप्रास अलंकार है। उदाहरण अलंकार भी है।


Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions