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फेफड़ों में प्रवेश करने वाली पतली-पतली नलिकाओं के सिरों पर पाये जाने वाली गुब्बारों जैसी रचनाओं के लिए वैज्ञानिक शब्द लिखिए। ​

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मनुष्य, पशुओं और पक्षियों के शरीर में श्वास नलिका (TRACHEA) या साँस की नली वह नली होती है जो गले में स्थित स्वरयंत्र (लैरिंक्स) को फेफड़ों से जोड़ती है और मुंह से फेफड़ों तक हवा पहुँचाने के रास्ते का एक महत्वपूर्ण भाग है। श्वासनली की आन्तरिक सतह पर कुछ विशेष कोशिकाओं की परत होती है जिन से श्लेष्मा (MUCUS) रिसता रहता है। साँस के साथ शरीर में प्रवेश हुए अधिकतर कीटाणु, धूल व अन्य हानिकारक कण इस श्लेष्मा से चिपक कर फँस जाते हैं और फेफड़ों तक नहीं पहुँच पाते। अशुद्धताओं से मिश्रित यह श्लेष्मा या तो अनायास ही पी लिया जाता है, जिस से ये पेट में पहुँच कर वहां पर हाज़में के रसायनों द्वारा नष्ट कर दिया जाता है, या फिर बलग़म बन कर मुंह में उभर आता है जहाँ से इसे थूका या निग़ला जा सकता है। मछलियों के शरीर में श्वासनली नहीं होती।श्वासनली (trachea) और उस से सम्बंधित अंग



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