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फ्रांस की क्रान्ति के बाद महिलाओं की स्थिति में आए परिवर्तनों का विवेचन कीजिए।

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फ्रांस की क्रान्ति के बाद महिलाओं की स्थिति में निम्न परिवर्तन घटित हुए-
(i) फ्रांस में आतंक के राज के दौरान देश में सक्रिय महिला अधिकारों के प्रति चेतना का प्रसार करने वाले क्लबों को | बन्द कर दिया गया। साथ ही महिलाओं की राजनीतिक गतिविधियों पर अंकुश लगा दिया गया। अनेक राजनीतिक रूप से सक्रिय महिलाओं को बन्दी बनाया गया तथा उनमें से कुछ को मृत्युदण्ड दे दिया गया।
(ii) मताधिकार और समान वेतन के लिए महिलाओं का आंदोलन अगली सदी में भी अनेक देशों में चलता रहा।
मताधिकार का संघर्ष उन्नीसवीं सदी के अंत एवं बीसवीं सदी के प्रारंभ तक अंतर्राष्ट्रीय मताधिकार आंदोलन के जरिए जारी रहा। क्रांतिकारी आंदोलन के दौरान फ्रांसीसी महिलाओं की  राजनीतिक सरगर्मियों को प्रेरक स्मृति के रूप में जिंदा रखा गया। अंततः सन् 1946 में फ्रांस की महिलाओं ने मताधिकार हासिल कर लिया।
(iii) फ्रांस की क्रांति के काल में ही महिलाओं ने अपने अधिकारों की माँग को लेकर अनेक महिला राजनीतिक क्लबों की स्थापना आरम्भ कर दी थी। ‘द सोसाइटी ऑफ रेवलूशनरी एण्ड रिपब्लिकन विमेन’ सबसे मशहूर क्लब था। उनकी एक प्रमुख माँग यह थी कि महिलाओं को पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए। महिलाएँ इस बात से निराश हुईं कि 17 ई. के संविधान में उन्हें निष्क्रिय नागरिक का दर्जा दिया गया था। महिलाओं ने मताधिकार, असेंबली के लिए चुने जाने तथा राजनीतिक पदों की माँग रखी। उनका
मानना था कि तभी नई सरकार में उनके हितों का प्रतिनिधित्व हो पाएगा।
(iv) प्रारम्भिक वर्षों में क्रांतिकारी सरकार ने महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कुछ कानून लागू किए। सरकारी विद्यालयों की स्थापना के साथ ही सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया। अब पिता उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ शादी के लिए बाध्य नहीं कर सकते थे। शादी को स्वैच्छिक अनुबन्ध माना गया और नागरिक कानूनों के तहत उनका पंजीकरण किया जाने लगा।  तलाक को कानूनी रूप दे दिया गया और मर्द-औरत दोनों को ही इसकी अर्जी देने का अधिकार दिया गया। अब महिलाएँ व्यावसायिक प्रशिक्षण ले सकती थीं, कलाकार
बन सकती थीं और छोटे-छोटे व्यवसाय चला सकती थीं।



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