InterviewSolution
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पक्षियों का ाज उद्विकार |
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Answer» प्रारम्भिक व आदिम जीवों में लाखों-करोड़ों वर्षों के दौरान क्रमिक रूप से कुछ ऐसे परिवर्तन आ जाते हैं कि प्रारम्भिक प्रजाति से अलग एक नयी प्रजाति उत्पन्न हो जाती है, इस प्रक्रिया को ही उद्विकास (EVOLUTION) कहा जाता है | जीवों के संबंध में इसे ‘जैव उद्विकास’ का नाम दिया जाता है | वर्तमान में पृथ्वी पर पाये जाने वाले सभी पादपों व जंतुओं का वर्तमान विकास बहुत समय पहले पृथ्वी पर पाये जाने वाले उनके पूर्वजों से क्रमिक परिवर्तन के द्वारा हुआ है | दो प्रजातियों की विशेषताओं में जितनी अधिक समानता पायी जाती है, वे जैव उद्विकास के संदर्भ में उतनी ही अधिक गहराई से आपस में जुड़े होते हैं | जैव उद्विकास को ‘पिटेरोसोर्स ( PTEROSAUR)’ पक्षी के उदाहरण से से समझा जा सकता है| यह एक उड़ने वाला सरीसृप (REPTILE) है, जो लगभग 150 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर पाया जाता था | इसका जीवन की शुरुआत प्रारम्भ में स्थल पर रहने वाली एक बड़ी छिपकली के रूप में हुआ था | कई मिलियन वर्षों के दौरान इसके पैरों के मध्य त्वचा की परतें विकसित हो गईं जिसने इसे छोटी-मोटी दूरी तक उड़ने योग्य बना दिया | बाद के कुछ और मिलियन वर्षों के दौरान इसके पैरों के बीच की त्वचा की परतों और उसे सहयोग करने वाली हड्डियों और माँसपेशियों का विकास पंखों के रूप में हो गया जिसने इसे लंबी दूरी तक उड़ान भरने योग्य पक्षी के रूप में विकसित कर दिया | इस तरह जमीन पर रहने वाला एक जीव उड़ने वाले पक्षी में बदल गया और एक नयी प्रजाति (उड़ने वाले सरीसृप) का जन्म हो गया | |
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