InterviewSolution
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| Answer» TION:अनुप्रास अलंकार –जब समान व्यंजनों की आवृत्ति अर्थात उनके बार-बार प्रयोग से कविता में सौंदर्य की उत्पत्ति होती है तो व्यंजनों की इस आवृत्ति को अनुप्रास कहते हैं।अनुप्रास शब्द अनु + प्रास शब्दों से मिलकर बना है। अनु का अर्थ है बार – बार , प्रास शब्द का अर्थ है वर्ण। अर्थात जो शब्द बाद में आए अथवा बार-बार आए वहां अनुप्रास अलंकार की संभावना होती है।जिस जगह स्वर की समानता के बिना भी वर्णों की आवृत्ति बार-बार होती है वहां भी अनुप्रास अलंकार होता है।जिस रचना में व्यंजन की आवृत्ति एक से अधिक बार हो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। EXAMPLE:-तट तमाल तरूवर बहू छाए|यमक अलंकार किसी कविता या काव्य में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आये और हर बार उसका अर्थ भिन्न हो वहाँ यमक अलंकार होता है।उदाहरण १. ” वहै शब्द पुनि – पुनि परै अर्थ भिन्न ही भिन्न ”अतिशयोक्ति अलंकारजहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।जहां किसी वस्तु का वर्णन बढ़ा चढ़ाकर किया जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है । example:- हनुमान के पूँछ में लग न सकी आगलंका सिगरी जल गई , गए निशाचर भाग।पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार:-- घबराहट, आश्चर्य, घृणा या रोचकता किसी शब्द को काव्य में दोहराना ही वीप्सा या पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। उदाहरण :--मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।hope this HELPS..... | |