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प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में परीक्षा-प्रणाली का क्या प्रावधान था ?

Answer» प्राचीन काल में आज की भाँति परीक्षा-प्रणाली, उपाधियों और प्रमाण-पत्र व्यवस्था का प्रचलन नहीं था। उस समय प्रश्नोत्तर के माध्यम से जब गुरु को यह विश्वास हो जाता था कि उसके शिष्य ने विद्या में दक्षता प्राप्त कर ली है, तो वह उसे दीक्षा देकर विदा कर देता था। आश्रमों में दीक्षान्त समारोह सम्पन्न होते थे। इन्हें समावर्तन संस्कार भी कहा जाता था। इन समारोहों में विद्वान् लोग विद्यार्थी से प्रश्न पूछते थे और वह उनके सन्तोषजनक उत्तर देने पर उत्तीर्ण घोषित कर दिया जाता था। उच्च शिक्षा एवं वैज्ञानिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्रों को उपाधियाँ दी जाती थीं।


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